‘Prapancha Yagya’, तिरुवनंतपुरम, 30 मार्च (वार्ता) : केरल में स्थित पौममिकवु देवी मंदिर में सात दिवसीय ‘प्रपंच यज्ञ’ किया जाएगा जहां देश में पहली बार 51 मलयालम भाषा के अक्षरों के नाम पर 51 देवियों की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी।
मंदिर के ट्रस्टी भुवना चंद्रन ने गुरुवार को पत्रकारों को बताया कि 31 मार्च से छह अप्रैल तक चलने वाले ‘महायज्ञ’ में अघोरी संत, काशी के 1008 महा मंडलेश्वर कैलासपुरी स्वामी यज्ञ के मुख्य आचार्य होंगे। यहां इतिहास में पहली बार ‘प्रपंच यज्ञ’ आयोजित किया जा रहा है। नेपाल में पशुपतिनाथ मंदिर, बद्रीनाथ मंदिर, ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर, मदुरै में मीनाक्षी मंदिर, महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर, कुंभकोणम कुंभेश्वर मंदिर, काशी विश्वनाथ मंदिर, मां बगलामुखी मंदिर, सूर्यकलादी मन, तंजावुर बृहदेश्वर मंदिर और मूकाम्बिका मंदिर, भगवान मुरुगा के छह पवित्र निवास मंदिरों सहित विभिन्न प्राचीन मंदिरों के लगभग 254 आचार्य भी इस ‘महायज्ञ’ में शामिल होंगे।
‘Prapancha Yagya’
उन्होंने बताया कि छह हवन कुंड बनाने के लिए करीब 12,006 मिट्टी की ईंटों का उपयोग किया जाएगा। इसके अलावा, हवन के समय में प्रसाद के रूप में 1008 औषधीय जड़ी-बूटियाँ, फल और अनाज, घी, शहद और मसाले, वस्त्र, सोने और चाँदी जैसी कीमती धातुओं से बनी वस्तुएँ शामिल की जाएंगी। ‘महायज्ञ’ के दौरान, देवी सरस्वती की पांच फीट ऊंची एक पत्थर की मूर्ति और भगवान शिव की पंजाभूत (पांच ) शिवलिंगों की भी प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। इस शिवलिंग प्रतिष्ठा के लिए नेपाल में गंडकी नदी से लाए गए ‘सालिग्राम’ का उपयोग किया जाएगा।
केरल के विझिंजम में स्थित पूर्णमिकावु देवी मंदिर की यह विशेषता है कि यह हर महीने की पूर्णिमा के दिन को ही खुलता है।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले, 2022 में भारत के 51 शक्तिपीठ मंदिरों और अन्य प्राचीन मंदिरों के मुख्य पुजारियों द्वारा यहां एक महा कालिका यज्ञ किया गया था।
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