केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कैबिनेट ब्रीफिंग में जानकारी दी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में 1975 में लगाए गए आपातकाल की कड़ी निंदा करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया गया है।
देश में आपातकाल लगाए जाने की 50वीं बरसी के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट की आज (बुधवार, 25 जून को) एक बैठक बुलाई गई, जिसमें आपातकाल के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया गया। इस प्रस्ताव में 1975 में लगे आपातकाल को ‘लोकतंत्र और संविधान की हत्या’ करार दिया गया और इसकी कड़ी निंदा की गई। प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में आपातकाल की ज्यादतियों के पीड़ितों को श्रद्धांजलि के देने के लिए दो मिनट का मौन भी रखा गया। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी समेत सभी मंत्री खड़े रहे।
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कैबिनेट मीटिंग में पारित प्रस्तावों के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि वर्ष 2025 संविधान हत्या दिवस की 50वीं वर्षगांठ है। इस मौके पर केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 1975 में लगाए गए आपातकाल की कड़ी निंदा करते हुए प्रस्ताव पास किए हैं। प्रस्ताव में कहा गया है कि आपातकाल के दौरान देशभर में लोकतांत्रिक मूल्यों का हनन हुआ और आम आदमी के संवैधानिक अधिकार छीने गए थे।
युवाओं से सीख लेने का आह्वान
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अपने प्रस्ताव में देश के युवाओं से लेकर वरिष्ठ नागरिकों तक से लोकतंत्र के सेनानियों और उनके बलिदान से सीख लेने का आह्वान किया गया है। प्रस्ताव में कहा गया है कि आपातकाल के वीर सेनानियों ने तानाशाही प्रवृतियों का विरोध किया और हमारे संविधान और लोकतांत्रिक भावनाओं की दृढ़ता से रक्षा की थी। इसमें कहा गया है कि लोकतंत्र की जननी के रूप में भारत संवैधानिक मूल्यों के संरक्षण, सुरक्षा और रक्षा का मूर्तरूप है।