सरकारी बैंकों के पास 100 अरब डालर तक कर्ज देने के लिए पर्याप्त धन : लॉटसड्यू

लॉटसड्यू
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मुंबई, 21 फरवरी (वार्ता): निवेश सलाहकार एवं स्मालकेस मैनेजर लॉटसड्यू वेल्थ की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के सरकारी बैंक अपनी मौजूदा तरल सम्पत्ति की बदौलत 100 अरब डालर (8000 अरब रुपये से अधिक) का कर्ज देने की क्षमता रखते हैं।

लॉटसड्यू वेल्थ ने मंगलवार को जारी इस रिपोर्ट में कहा है कि मार्च 2022 की स्थिति के अनुसार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का भारतीय रिजर्व बैंक के पास नकद और बैलेंस 70 अरब डालर (6.22 लाख करोड़ रुपये) था जबकि एक साल पहले रिजर्व बैंक के पास उनकी ऐसी कुल राशि 60 अरब डालर (5.4 लाख करोड़ रुपये) थी। इस दौरान निजी क्षेत्र के बैंकों की रिजर्व बैंक के पास जमा नकदी और जमाएं 35 अरब डालर (3.93 लाख करोड़ रुपये) से बढ़कर 45 अरब डालर (3.93 लाख करोड़ रुपये) के स्तर पर पहुंच गयी थी।

रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तरह सरकारी बैंकों की रिजर्व बैंक के पास पड़ी तरल परिसम्पत्ति का स्तर निजी क्षेत्र के बैंकों की तुलना में 60 प्रतिशत ऊंचा है।

रिपोर्ट के अनुसार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का रिजर्व बैंक के पास जमा धन और केंद्रीय बैंक से प्राप्त हो सकने वाली कॉल मनी (किसी भी समय उधार पर प्राप्त किया सकने वाला धन) 80 अरब डालर (6.42 लाख करोड़ रुपये) के बराबर है, जो एक साल पहले 75 अरब डालर (5.91 लाख करोड़ रुपये ) के स्तर पर था।

इसी तरह निजी क्षेत्र के बैंकों का रिजर्व बैंक के पास जमा नकद धन का स्तर (कॉल मनी की सुविधा, दोनों को मिला कर) पिछले साल मार्च के 35 अरब डालर (2.75 लाख करोड़ रुपये) से बढ़ कर 40 अरब डालर (3.34 लाख करोड़ रुपये) रहा।

लॉटसड्यू ने कहा है, “ रिजर्व बैंक द्वारा तय आरक्षित नकदी अनुपात (सीआरआर) इस समय 4.5 प्रतिशत है तथा सरकारी बैंकों को नकदी की आकस्मिक जरूरत के लिए हमेशा 45 अरब डालर की तरल सम्पत्ति पास में रखने की जरूरत है, ऐसे में यदि एक रुपये से ढाई रुपये तक कर्ज दे सकने के गुणक को लागू करें तो सरकारी क्षेत्र के बैंकों पास ऊपरी आधार पर 100 अरब डालर तक का कर्ज देने की क्षमता है।”

रिपोर्ट में हालांकि यह भी कहा गया है कि रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति के अब भी ऊंचे स्तर पर बने रहने के मद्देनजर अपने रुख में हाल में जो बदलाव किए हैं, उसकी मौद्रिक नीति पहले से कम उदार हो सकती है और इसका कर्ज के उठाव पर असर पड़ सकता है। इसके बावजूद लॉटसड्यू वेल्थ का अनुमान है कि सरकारी बैंक अपनी तरल परिसम्पत्ति के आधार पर कम से कम तो 60 अरब डालर का कर्ज देने की स्थिति में होंगे।

‘स्मालकेस’ ऐसी वित्तीय प्रौद्योगिकी कंपनी होती हैं जो अपना एक ऐसा विकसित करती है जिस पर ‘डायरेक्ट इंडेक्सिंग’ और चुनिंदा शेयरों तथा एक्सचेंज ट्रेडेड फंड के पोर्टफोलियों के कारोबार की सुविधा होती है। ऐसे पोर्टफोलियों या इंडेक्सिंग को स्मालकेस कहा जाता है।