- पशुपालन मंत्री ने अधिकारियों को पशुओं में बीमारियों की रोकथाम हेतु समय पर टीकाकरण कार्यक्रम लागू करने के निर्देश दिए
- पशुधन की उत्पादकता बढ़ाने और पशुपालकों की खुशहाली के लिए नवाचारी उपायों पर मंथन हेतु आयोजित हुआ सेमिनार
चंडीगढ़, 31 जुलाई:
पंजाब के पशुपालन, डेयरी विकास और मत्स्य पालन मंत्री सरदार गुरमीत सिंह खु़ड्डियाँ ने बताया कि डेयरी फार्मिंग सेक्टर को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से पंजाब के पशुपालन विभाग ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में 22.26 लाख कृत्रिम गर्भधारण करवाकर महत्वपूर्ण प्रगति हासिल की है, जिसमें 18.50 लाख सीमेन स्ट्रॉ (गायों के लिए 6.47 लाख और भैंसों के लिए 12.03 लाख) का उत्पादन भी शामिल है।
आज यहां किसान भवन में “पशुओं के पालन-पोषण, बार-बार प्रजनन और बीमारी नियंत्रण हेतु नवाचारी दृष्टिकोण” विषय पर आयोजित सेमिनार को संबोधित करते हुए स खु़ड्डियाँ ने कहा कि उच्च आनुवंशिक क्षमता वाली बछियों के जन्म को प्रोत्साहित करने के लिए 3.75 लाख फ्रोज़न सेक्स्ड सीमेन की खरीद की गई है, ताकि आवारा पशुओं की संख्या में कमी लाई जा सके और किसानों पर कट्टों और बछड़ों के पालन-पोषण का बोझ घटाया जा सके। साथ ही, उच्च गुणवत्ता वाले गाय सीमेन की कमी को पूरा करने के लिए 3.38 लाख सीमेन डोज़ भी खरीदे गए हैं।
स खु़ड्डियाँ ने विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए कृत्रिम गर्भधारण के माध्यम से पशुधन की उत्पादकता बढ़ाई जाए और पशुओं में बीमारियों की रोकथाम हेतु समय पर टीकाकरण कार्यक्रम भी लागू किया जाए।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री स भगवंत सिंह मान के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार बेहतर पशुपालन तकनीकों के जरिए पशुपालकों को सशक्त बनाने हेतु प्रतिबद्ध है। विभाग लगातार पशुओं की उत्पादकता बढ़ाने, बीमारियों के प्रकोप को कम करने और किसानों की आमदनी में इजाफा करने की दिशा में कार्य कर रहा है।
पशुपालन, डेयरी विकास और मत्स्य पालन विभाग के प्रमुख सचिव श्री राहुल भंडारी ने इस कार्यक्रम के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि इसमें गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंसेज़ यूनिवर्सिटी, लुधियाना के विशेषज्ञों और विभागीय अधिकारियों द्वारा पशु उत्पादकता बढ़ाने और किसानों की उन्नति हेतु नवाचारी समाधानों पर चर्चा की गई। उन्होंने विभागीय फील्ड स्टाफ को यह भी निर्देश दिए कि पशुओं को समय पर पशुचिकित्सा सेवाएं प्रदान की जाएं ताकि किसानों को अपने पशुओं के इलाज के लिए किसी भी प्रकार की कठिनाई का सामना न करना पड़े।