पंजाब विधानसभा ने पंजाब पुलिस एक्ट 2007 में संशोधन को मंजूरी दी है, जिसके तहत राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) के पद पर चयन और नियुक्ति के लिए एक मजबूत तंत्र स्थापित किया गया है। यह संशोधन राज्य में डीजीपी के पद पर म अधिकारियों की नियुक्ति की प्रक्रिया में परिवर्तन लाएगा।
अब डीजीपी के पद पर पंजाब में पदोन्नत हुए और सेवाकाल के दौरान उच्चतम रैंक के पद रिक्त होने तक 30 साल पूरे कर चुके कैडर के आईपीएस अधिकारियों को नियुक्त किया जा सकेगा। न्यूनतम छह माह का कार्यकाल बाकी होना चाहिए। चयन प्रक्रिया के लिए राज्य सरकार एक इम्पैनलमेंट कमेटी का गठन करेगी, जिसमें विभिन्न सदस्य होंगे, जैसे रिटायर्ड चीफ जस्टिस, यूपीएससी का प्रतिनिधि, पंजाब पब्लिक सर्विस कमीशन के चेयरमैन, केंद्रीय गृह मंत्रालय का प्रतिनिधि, पंजाब के रिटायर्ड डीजीपी सदस्य आदि। कमेटी तीन सबसे सीनियर अधिकारियों का पैनल चुनेगी, और राज्य सरकार इस पैनल के सुझाव के आधार पर एक अधिकारी को डीजीपी पद के लिए चुनेगी। नियुक्ति दो साल के लिए होगी। हालांकि, नियुक्ति प्रक्रिया के दौरान राज्य सरकार किसी भी डीजीपी रैंक के अधिकारी को अतिरिक्त चार्ज दे सकेगी, जब तक कि नियुक्ति प्रक्रिया पूरी न हो जाए।
यह संशोधन उचित तंत्र की स्थापना करने का उद्देश्य रखता है, जो पंजाब के सामने आने वाली चुनौतियों को ध्यान में रखेगा। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से ही पंजाब सरकार इस मुद्दे को उठा रही है और यह दावा करती है कि ‘कानून-व्यवस्था’ राज्य का विषय होता है।
यह संशोधित बिल पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) के पद पर उचित चयन और नियुक्ति की प्रक्रिया को स्थापित करने के लिए महत्वपूर्ण कदम है।
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