Ramesh Chand, नयी दिल्ली 10 मार्च (वार्ता) : नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने भारत को विश्व का ‘फूड पावर’ बताते हुए आज कहा कि पिछले आठ – नौ साल के दौरान कुछ फसलों की पैदावार घट रही है जो चिन्ताजनक है । चंद ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) की 94 वीं आम सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि दुनिया के देश चाहते हैं कि उन्हें यहां से निरंतर अनाज मिलता रहे और अंतरराष्ट्रीय बाजार में स्थिरता हो । उन्होंने कहा कि अनाज उत्पादन में आज भारत इस स्थिति में आ गया है कि वह दुनिया का ‘फूड पावर’ बना गया है । मिनरल और मैटल को छोड़कर कृषि से सब कुछ पैदा हो सकता है । उन्होंने कहा कि अनाज की पैदावार जनसंख्या की तुलना में तीन गुना अधिक हो रही है । पिछले साल देश में दुनिया का 23 प्रतिशत दूध का उत्पादन हुआ था और उसने इस मामले में अमेरिका को भी पीछे छोड़ दिया है। उन्होंने कहा कि अतित पर गर्व किया जा सकता है और उससे सीखा जा सकता है लेकिन पिछले आठ – नौ साल में बारह फसलों की पैदावार में कमी आ रही है जो चिन्ताजनक है ।
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चंद ने कहा कि पूर्व में कपास का उत्पादन तीन करोड़ साठ लाख गांठें होती थी जो अब घटकर तीन करोड़ 30 लाख गांठें हो गई है । कपास एक बड़ा क्षेत्र है जिससे टेक्सटाइल उद्योग जुड़ा है । कपास का उत्पादन चुनौतीपूर्ण है जिस पर ध्यान देने की जरुरत है । उन्होंने कहा कि 2014-15 के बाद सोयाबीन का उत्पादन भी घट रहा है । वर्षा आधारित क्षेत्रों में इसकी खेती की जाती है और एक समय इसका 130 गुना उत्पादन बढा था । जर्म प्लाज्म से सोयाबीन का उत्पादन बढा था और अब समय आ गया है कि अमेरिका से जर्म प्लाज्म लाया जाये । वर्ष 1970 में अमेरिका से सोयाबीन का जर्म प्लाज्म लाया गया था। उन्होंने कहा कि चना के क्षेत्र में अच्छी प्रगति हो रही है जबकि अरहर और उड़द में कमी आ रही है। इसी तरह सरसों और मूंगफली में भी बेहतर हो रहा लेकिन पिछले आठ – नौ साल में सूरजमुखी की पैदावार आधी हो गई है। मिलेट को लेकर अब लोगों में जागरुकता आई है। यह पैष्टिक है और कम पानी में होता है। उन्होंने कहा कि 1970 में 24 प्रतिशत मिलेट का उपयोग होता था जो अब घटकर छह प्रतिशत पर आ गया है। मिलेट अब अमीरों का भोजन बन गया है। इसका उत्पादन एक करोड़ 80 लाख टन से घटकर एक करोड़ 60 लाख टन हो गया है। उन्होंने कहा कि नैनो यूरिया और नैनो डीएपी बन गया है लेकिन इसे एक निजी कम्पनी ने तैयार किया है । उन्होंने आनुवांशिक रुप से संबर्धित फसलों को तैयार किये जाने पर भी जोर दिया ।
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