मणिपुर सरकार ने इंटरनेट सेवाओं पर आबंटन लगाने का निर्णय लिया है। यह निर्णय शांति और सार्वजनिक व्यवस्था की रक्षा के लिए लिया गया है, क्योंकि मणिपुर में हाल ही में हिंसा की घटनाएं घटित हुईं थीं। इस निर्णय के अनुसार, इंटरनेट सेवाएं 10 जुलाई तक प्रतिबंधित रहेंगी। यह पहली बार है जब मणिपुर में इंटरनेट सेवाओं पर प्रतिबंध लगाया गया है। इस प्रतिबंध को अपडेट करके समय-समय पर बढ़ाया गया है।
गृह आयुक्त टी. रणजीत सिंह ने बयान में बताया है कि कुछ असामाजिक तत्व वायरल तस्वीरें, नफरतभरी भाषण और वीडियो संदेशों को सोशल मीडिया के माध्यम से प्रसारित करके जनता की भावनाओं को भड़का सकते हैं, जिससे कानून-व्यवस्था पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। मणिपुर में मेइती और कुकी समुदायों के बीच हुई झड़पों में 120 लोगों की मौत हुई है और 3,000 से अधिक लोग घायल हुए हैं।
तीन मई को हिंसा की शुरुआत हुई,जब मेइती समुदाय की अनुसूचित जनजाति के दर्जे के लिए मांग के विरोध में मणिपुर के पहाड़ी जिलों में ‘जनजातीय एकजुटता मार्च’ आयोजित किया गया था। मेइती समुदाय की आबादी में लगभग 53 प्रतिशत लोग हैं और वे अधिकांशतः इम्फाल घाटी में बसे हुए हैं। जनजातीय नागा और कुकी समुदायों का अंश 40 प्रतिशत है और वे पहाड़ी जिलों में बसे हुए हैं।
इंटरनेट सेवाओं पर प्रतिबंध लगाने के मणिपुर सरकार के इस कदम का उद्देश्य शांति और सार्वजनिक व्यवस्था को सुरक्षित रखना है और असामाजिक तत्वों द्वारा वायरल की जा रही तस्वीरें, भाषण और वीडियो संदेशों को रोकने का प्रयास किया जा रहा है। यह कदम उन घटनाओं के पश्चात लिया गया है जिनमें हिंसा और उत्पीड़न के मामले साम्प्रदायिक तनाव के बीच बढ़ रहे हैं।