भदोही 10 मार्च (वार्ता) कालीन नगरी भदोही में अस्पताल से निकलने वाला जैविक कचरा (मेडिकल बायो वेस्ट) का सही ढंग से निस्तारण न होने से शहर की एक बड़ी आबादी के लिए रेडिएशन और संक्रमण का खतरा हर समय बना हुआ है। मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट रूल के तहत अस्पतालों से निकलने वाले कचरे को जमीन के अंदर अस्थाई तौर पर दबाने और इसका निस्तारण निर्धारित समय सीमा में करने का प्रावधान है, ताकि वायो वेस्ट से होने वाले रेडिएशन का प्रभाव आबादी पर न पड़े। मगर अक्सर देखा गया है कि बड़े अस्पतालों से निकलने वाले अस्पताली कचरे को इधर-उधर फेंक दिया जाता है जो कई महीनों तक कहीं भी पड़ा रहता है । कचरे से जो दुर्गंध निकलती है उससे लोग बचकर अथवा नाक पर कपड़ा रखकर निकल जाते हैं। लेकिन कचरे से उत्पन्न होने वाले रेडिएशन से लोग अंजान बने रहते हैं । कचरे के रेडिएशन से मनुष्य विशेषकर बच्चों के स्वास्थ्य पर जाने अनजाने में विपरीत असर पड़ता है, जो आगे चलकर गंभीर बीमारियों का कारण बनता है। सरकारी व निजी अस्पतालों का बायो मेडिकल वेस्ट प्रयागराज व वाराणसी जैसे शहरों को भेजा जाता है जिसे वैज्ञानिक तौर तरीकों से नष्ट किया जाता है। इस प्रक्रिया से अस्पताली कचरे के प्रभाव का खतरा लगभग समाप्त हो जाता है। यह प्रक्रिया अनवरत चलनी चाहिए लेकिन ऐसा कम होता दिखाई पड़ता है। सरकारी व निजी अस्पतालों के संचालक बायोमेडिकल वेस्ट को लेकर व शासन के दिशानिर्देशों का पालन कम करते हैं। समय-समय पर संबंधित महकमें की तरफ से जांच पड़ताल की जाती है लेकिन कार्यवाही के नाम पर नतीजा सिफर ही होता है। बलवंत सिंह राजकीय अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ संजय तिवारी ने बताया कि जिले के सरकारी अस्पतालों का कचरा प्रयागराज व निजी अस्पतालों के संचालक वाराणसी भेजते हैं इसके एवज में उन्हें प्रतिवर्ष लाखों का भुगतान भी करना पड़ता है। उन्होंने स्वीकार करते हुये कहा कि मेडिकल वेस्ट के निस्तारण में लापरवाही के विपरीत परिणाम हो सकते है।