मुंबई में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कोविड केंद्र घोटाले के आरोप में उद्योगपति सुजीत पाटकर और अन्य लोगों के खिलाफ कार्रवाई की है। बुधवार को मुंबई में 15 स्थानों पर छापेमारी की गई है। इस मामले में पाटकर को शिवसेना नेता संजय राउत के करीबी माना जाता है। छापों के दौरान शिवसेना के ठाकरे की कोर समिति के सदस्य सूरज चव्हाण के आवास, बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) के कुछ अधिकारी और आईएएस अधिकारी संजीव जायसवाल के परिसरों पर छापेमारी की गई है।
आईएएस अधिकारी संजीव जायसवाल के परिसरों पर भी छापेमारी
अधिकारी ने बताया कि पाटकर और उनके साझेदारों ने कोविड-19 अस्पताल प्रबंधन के लिए बीएमसी के ठेके बिना योग्यता के फर्जी तरीके से हासिल किए थे। इसके संबंध में बीएमसी के कुछ अधिकारियों और आईएएस अधिकारी संजीव जायसवाल के परिसरों पर भी छापेमारी की जा रही है। ईडी दल ने पाटकर, जायसवाल और चव्हाण के आवासों पर छापेमारी की है।
ईडी के अधिकारी पिछले कई घंटों से मुंबई में जायसवाल के आवास पर मौजूद हैं। चव्हाण ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर अपना परिचय शिवसेना के सचिव और युवा सेना की कोर समिति के सदस्य के रूप में दिया है। शिवसेना (यूबीटी) के प्रवक्ता सचिन अहीर ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए सवाल उठाया है कि क्या इसका मकसद राजनीतिक प्रतिशोध है।
पिछले साल अगस्त में मुंबई पुलिस ने लाइफलाइन हॉस्पिटल मैनेजमेंट सर्विसेज कंपनी, पाटकर और उनके सहयोगियों के खिलाफ जालसाजी का मामला दर्ज किया था। इस बारे में भी आगे की कार्रवाई होने की संभावना है।
ईडी के अधिकारी ने बताया कि दर्ज प्राथमिकी के आधार पर धनशोधन के मामले में जांच की जाएगी। बीएमसी आयुक्त इकबाल सिंह चहल को भी इस संबंध में पहले ही जांच के लिए ईडी के सामने पेश होना पड़ा था।
इस मामले में बताया गया है कि बीएमसी को जून 2020 में एक फर्जी साझेदारी दस्तावेज सौंपे गए थे, जिसके बाद उन्हें अस्पताल प्रबंधन क्षेत्र में कोविड-19 केंद्रों के ठेके मिल गए थे। यह पाया गया कि इन केंद्रों के कर्मचारियों और डॉक्टरों के पास चिकित्सा प्रमाण पत्र नहीं थे और वे उचित उपचार प्रदान करने में विफल रहे थे। इससे लोगों को परेशानी हुई थी।
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