उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में एक स्कूली छात्र को दूसरे सहपाठियों से थप्पड़ मरवाने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था। इस मामले की सुनवाई आज सुप्रीम कोर्ट में चली। सुप्रीम कोर्ट की बेंच में जस्टिस अभय एस ओक और पंकज मिथल शामिल थे, जिन्होंने मामले को गंभीरता से लिया। कोर्ट ने किसी बच्चे के साथ धर्म के आधार पर ऐसा करने की कड़ी निंदा की और मामले की सुनवाई जारी रखी। मामला 24 अगस्त का है, जब खुब्बापुर गांव के नेहा पब्लिक स्कूल की एक शिक्षिका तृप्ति त्यागी ने एक बच्चे को दूसरे बच्चों से थप्पड़ मरवाया था। इसके वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने मामले की जांच की निगरानीके लिए 1 सप्ताह के भीतर किसी आईपीएस अधिकारी की नियुक्ति की जाने का आदेश दिया। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि पीड़ित बच्चे की पढ़ाई की व्यवस्था दूसरे स्कूल में की जाए औऱ थप्पड़ मारने वाले सभी बच्चों की काउंसलिंग कराई जाए।
अगली सुनवाई 30 अक्टूबर को
सुप्रीम कोर्ट ने मुजफ्फरनगर मामले में याचिका दायर करने के बाद कहा है कि शिक्षा के अधिकार कानून के तहत सभी बच्चों को मुफ्त शिक्षा देना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। इस मामले में कोर्ट ने यह भी कहा कि केस दर्ज करने में देरी हुई है और उसकी अगली सुनवाई 30 अक्टूबर को होगी।
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