SIT constituted, रांची, 01 मार्च (वार्ता) : झारखंड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने राज्य अन्तर्गत खनिजों के अवैध परिवहन में रेलवे की भूमिका की जांच एवं रोकथाम के लिए झारखंड उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश विनोद कुमार गुप्ता की एक सदस्यीय गठित स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) का कार्यकाल छह माह निर्धारित करने, आयोग के अध्यक्ष को प्रतिमाह मानदेय, अध्यक्ष को उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के समतुल्य यात्रा भत्ता एवं अन्य सुविधाएं एवं आयोग के कार्यालय के लिए एक सहायक, एक आदेशपाल, एक कम्प्यूटर ऑपरेटर एवं वाहन की सुविधा उपलब्ध कराने के प्रस्ताव पर स्वीकृति दे दी है। मुख्यमंत्री श्री सोरेन द्वारा 14 दिसंबर 2022 को रेल मंत्री को पत्र लिख कर अवगत कराया गया था कि राज्य सरकार द्वारा अवैध खनन एवं इसके परिवहन में रेलवे पदाधिकारियों की संलिप्तता एवं अन्य सभी संबंधित बिन्दुओं की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय जांच समिति के गठन का निर्णय लिया गया है।
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मुख्यमंत्री ने पत्र के माध्यम से रेल मंत्री से आग्रह किया था कि आपके द्वारा रेलवे के पदाधिकारियों को इस उच्च स्तरीय जांच समिति को पूरा सहयोग करने के लिए निर्देशित किया जायेगा। खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम की धारा-23 (सी) के अन्तर्गत राज्य में खनिजों के अवैध परिवहन की रोकथाम के लिए द झारखंड मिनरल्स (प्रिवेंशन ऑफ इलीगल माइनिंग ट्रांसपोर्टेशन एंड स्टोरेज) रूल्स 2017 अधिसूचित किया गया है। अधिसूचित नियमावली के नियम- 9(1) के अनुसार उत्खनित खनिजों का रेल मार्ग से परिवहन भी जेआईएमएमएस पोर्टल से प्राप्त परिवहन चालान के माध्यम से ही किया जाना है। इस संदर्भ में खान एवं भूतत्व विभाग एवं विभिन्न उपायुक्त / जिलास्तरीय पदाधिकारियों के माध्यम से भी वैध ई-चालान के साथ खनिजों के परिवहन के लिए कई निर्देश निर्गत किये गये हैं। इन सभी प्रयासों के बावजूद भी विभिन्न स्रोतों से सूचनाएं प्राप्त हो रहीं हैं कि रेलवे के माध्यम से बिना वैध चालान के भारी मात्रा में खनिज का परिवहन / प्रेषण किया जा रहा है। इस संदर्भ में उपायुक्त, दुमका द्वारा रेलवे के माध्यम से रेलवे साईडिंग से बिना परमिट/चालान के पत्थर चिप्स के परिवहन करने के संदर्भ में सूचनाएं/आंकड़े भेजे गये हैं। इस अनियमितता में रेलवे के अधिकारियों की संलिप्तता परिलक्षित होती है। अतः राज्य अन्तर्गत विभिन्न खनिजों के अवैध परिवहन में रेलवे के अधिकारियों की भूमिका की जांच एवं रोकथाम के लिए सुझाव देने के लिए एक सदस्यीय एसआईटी गठन करने का निर्णय लिया गया है। इसलिए द कमीशन ऑफ इंक्वायरी एक्ट 1952 की धारा-3 के तहत प्रदत् शक्तियों का प्रयोग करते हुए झारखण्ड सरकार द्वारा मुख्य न्यायाधीश (से०नि०) झारखण्ड उच्च न्यायालय विनोद कुमार गुप्ता को गठित एक सदस्यीय एसआईटी का अध्यक्ष नियुक्त करने का निर्णय लिया गया है।
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