एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक के NGO में विदेशी फंडिंग… CBI ने लद्दाख में डाला डेरा, खंगाली जा रही बैंक अकाउंट्स की पूरी हिस्ट्री

एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक के NGO में विदेशी फंडिंग... CBI ने लद्दाख में डाला डेरा, खंगाली जा रही बैंक अकाउंट्स की पूरी हिस्ट्री
एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक के NGO में विदेशी फंडिंग... CBI ने लद्दाख में डाला डेरा, खंगाली जा रही बैंक अकाउंट्स की पूरी हिस्ट्री
सोनम वांगचुक ने कहा कि सीबीआई के आदेश में कहा गया था कि उन्होंने विदेशी धन प्राप्त करने के लिए एफसीआरए के तहत मंजूरी नहीं ली है.

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने लद्दाख के शिक्षाविद् और कार्यकर्ता सोनम वांगचुक के एक संस्थान के खिलाफ विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम के उल्लंघन की जांच शुरू कर दी है. गुरुवार (25 सितंबर, 2025) को अधिकारियों ने बताया कि कुछ समय से जांच जारी है, लेकिन अब तक कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है. संपर्क करने पर वांगचुक ने न्यूज एजेंसी पीटीआई-भाषा को बताया कि सीबीआई की एक टीम लगभग 10 दिन पहले एक आदेश लेकर आई थी, जिसमें कहा गया था कि वे हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स लद्दाख में कथित विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम (FCRA) के उल्लंघन के संबंध में गृह मंत्रालय की शिकायत पर कार्रवाई कर रहे हैं.

वांगचुक ने दावा किया, ‘आदेश में कहा गया था कि हमने विदेशी धन प्राप्त करने के लिए एफसीआरए के तहत मंजूरी नहीं ली है. हम विदेशी धन पर निर्भर नहीं रहना चाहते, लेकिन हम अपने ज्ञान के जरिए राजस्व जुटाते हैं. ऐसे तीन मामलों में, उन्हें लगा कि यह विदेशी योगदान है.’ उन्होंने बताया कि सीबीआई की एक टीम ने पिछले हफ्ते एचआईएएल और स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख (SECMOAL) का दौरा किया और 2022 और 2024 के बीच उन्हें मिले विदेशी धन का ब्योरा मांगा.

उन्होंने बताया कि टीम अब भी लद्दाख में डेरा डाले हुए हैं और संगठनों के खातों और बैंक विवरण की जांच कर रही हैं. वांगचुक ने आरोप लगाया, ‘यह एक बहुत ही गरिमापूर्ण कार्य था. उन्होंने इसे देखा और वे आश्वस्त हो गए. वे समझ गए कि इससे उन्हें कोई मदद नहीं मिल रही है, इसलिए उन्होंने उस अवधि के बाहर के खाते मांगने शुरू कर दिए. उनका अधिदेश 2022 और 2024 के दौरान खातों की जांच करने का था, लेकिन उन्होंने 2021 और 2020 के खाते मांगने शुरू कर दिए. फिर वे हमारे स्कूल गए और अपने अधिदेश की अवधि के बाहर के विभिन्न दस्तावेज और शिकायत के दायरे से बाहर के एक स्कूल के बारे में जानकारी मांगी.’

ये दोनों स्कूल जरूरतमंद युवा छात्रों को मुफ्त शिक्षा देते हैं. उन्होंने कहा कि एचआईएएल में छात्रों को विभिन्न परियोजनाओं पर उनके काम के लिए वजीफा दिया जाता है. वांगचुक ने कहा, ‘सीबीआई अधिकारी अब भी लद्दाख में डेरा डाले हुए हैं और रिकॉर्ड की गहन जांच कर रहे हैं.’ वांगचुक ने कहा कि सीबीआई अधिकारियों ने उनसे कोई पूछताछ नहीं की है. कार्यकर्ता ने बताया कि पहले स्थानीय पुलिस ने उनके खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज किया. इसके बाद, पट्टे की राशि का भुगतान नहीं किए जाने का हवाला देते हुए एचआईएएल के लिए दी गई जमीन वापस लेने का आदेश दिया गया.

उन्होंने दावा किया, ‘सब जानते हैं कि हमारे पास दिखाने के लिए दस्तावेज हैं. सरकार ने लगभग क्षमा मांगते हुए कहा था कि उनकी पट्टा नीति अब तक बनी नहीं है, इसलिए वे शुल्क नहीं ले सकते.’ उन्होंने कहा, ‘कृपया हमारा साथ दें और निर्माण जारी रखें.’ वांगचुक ने आरोप लगाया कि इसके बाद सीबीआई की कार्रवाई और आयकर विभाग का समन आया. उन्होंने आरोप लगाया, ‘दिलचस्प बात यह है कि लद्दाख ऐसी जगह है जहां कोई कर नहीं लगता. फिर भी मैं स्वेच्छा से कर देता हूं और मुझे समन मिलते हैं.’

वांगचुक ने 10 सितंबर को लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करने और राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर अनशन शुरू किया था. बुधवार को इस केंद्र शासित प्रदेश के इलाके में 1989 के बाद से सबसे भीषण हिंसा देखने को मिली, जब युवाओं के समूहों ने आगजनी और तोड़फोड़ की, भारतीय जनता पार्टी (BJP) मुख्यालय और पर्वतीय परिषद को निशाना बनाया और वाहनों में आग लगा दी. अधिकारियों ने बताया कि स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए पुलिस और अर्द्धसैनिक बलों को आंसू गैस के गोले दागने पड़े.