-अक्षत सरोत्री
26 जनवरी को दिल्ली में जो कुछ हुआ उसे देख कर यही लगता है कि दिल्ली (Delhi violence) में जो कुछ हुआ वो पहले से सुनियोजित था। क्योंकि पहले इस रैली के लिए इज़ाज़त ली गई और बाद में दिल्ली में जो कुछ हुआ उसका नजारा तो सभी ने देखा। आज सुप्रीम कोर्ट में भी कुछ याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया था कि मामले की जांच रिटायर जज से करवाई जाए। जिसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने साफ़ मना कर दिया है।
Supreme Court refuses to entertain clutch of petitions demanding investigations into the tractor rally violence in the national capital on Republic Day.
The Supreme court allows petitioners to file representation before the government. pic.twitter.com/LgEi8M7y2k
— ANI (@ANI) February 3, 2021
कोर्ट ने जारी किया यह बयान
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि हमें यकीन है कि सरकार इसकी जांच कर उचित कार्रवाई (Delhi violence) कर रही है। पीठ ने आगे कहा कि हमने प्रधानमंत्री के बयान को अखबारों में पढ़ा, जिसमें उन्होंने कहा कि कानून अपना काम करेगा। इसका मतलब है कि सरकार पूछताछ कर रही है। केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग के पक्ष में 26 जनवरी को हजारों की संख्या में किसानों ने ट्रैक्टर परेड निकाली थी, लेकिन कुछ ही देर में दिल्ली की सड़कों पर अराजकता फैल गई।
BASANT PANCHAMI: जानिए कब है बसंत पंचमी,? शुभ मुहूर्त पर पूजा करने से मिलेगा लाभ
प्रधान न्यायधीश एस ए बोबडे की पीठ ने की सुनवाई
आज सुप्रीम कोर्ट में प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यन की पीठ इन सभी (Delhi violence) याचिकाओं पर सुनवाई की। अधिवक्ता विशाल तिवारी द्वारा दाखिल याचिका में शीर्ष अदालत के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच आयोग गठित करने का अनुरोध किया गया था, जिसे भी कोर्ट ने खारिज कर दिया है। तीन सदस्यीय इस आयोग में उच्च न्यायालय के दो सेवानिवृत्त न्यायधीशों को शामिल करने का आग्रह किया गया था। याचिका में 26 जनवरी को राष्ट्रीय ध्वज के अपमान के लिए जिम्मेदार लोगों अथवा संगठनों के खिलाफ संबंधित धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज करने के वास्ते संबंधित अधिकारियों को निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया था।