सपा MLC स्वामी प्रसाद मौर्य फिर विवादों में, भगवान राम पर की आपत्तिजनक टिप्पणी

Swami Prasad Maurya controversy
Swami Prasad Maurya controversy

Swami Prasad Maurya controversy: हाल ही में रामचरितमानस पर अपनी टिप्पणी के लिए विवाद खड़ा करने वाले समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने रायबरेली जिले में एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान कथित रूप से “भगवान राम पर आपत्तिजनक टिप्पणी” करके और हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाकर एक और विवाद खड़ा कर दिया है।

सपा एमएलसी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर प्राथमिकी दर्ज की गयी है। गौरतलब है कि मौर्य के खिलाफ इस साल दर्ज की गई यह चौथी FIR है। सपा नेता ने सोमवार को बसपा संस्थापक कांशीराम की प्रतिमा के अनावरण के दौरान आपत्तिजनक टिप्पणी की। कार्यक्रम में पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव भी शामिल हुए।

रायबरेली की कोतवाली पुलिस में एक वीडियो के संबंध में मामला दर्ज किया गया है, जिसमें कथित तौर पर उन्हें मंगलवार को हिंदू युवा वाहिनी मरुत त्रिपाठी के एक पदाधिकारी द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत पर “भगवान राम पर आपत्तिजनक टिप्पणी” करते दिखाया गया था।

अंचल अधिकारी (शहर) वंदना सिंह ने कहा कि प्राथमिकी भारतीय दंड संहिता की धारा 295-ए (जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य, किसी भी वर्ग के धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान करके उसकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से) के तहत दर्ज की गई थी।

“भगवान राम पर आपत्तिजनक टिप्पणी” – Swami Prasad Maurya controversy

इंटरनेट पर वायरल हुई वीडियो क्लिप में, मौर्य को नारा लगाते हुए सुना गया था – “मिले मुलायम कांशी राम … हवा में उड़ गए जय श्री राम” – एक विवादास्पद राजनीतिक नारा जो 1990 के दशक की शुरुआत में गढ़ा गया था।

पुलिस के अनुसार, प्राथमिकी में शिकायतकर्ता ने कहा है कि नारे ने “सनातनी” समाज की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई है और यह समाज के सामाजिक सद्भाव को बिगाड़ देगा।

मौर्य की पूर्व पार्टी सहयोगी और बसपा प्रमुख मायावती ने प्राथमिकी पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘सपा का स्वभाव रहा है कि वह यूपी के विकास और जनहित के बजाय जातिगत घृणा और निराधार मुद्दों की राजनीति करती है।’

मैं अपने कानूनी विकल्पों का पता लगाऊंगा: मौर्य

मौर्य ने हालांकि कहा कि उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का कोई कारण नहीं है लेकिन फिर भी उन्होंने इसे दर्ज कराया है। उन्होंने आरोप लगाया, “मैं अपने कानूनी विकल्पों का पता लगाऊंगा। मैं इस मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं करना चाहता, लेकिन सरकार आजकल दुश्मनी के साथ काम कर रही है।”

उन्होंने कहा कि जब उन्होंने महिलाओं, पिछड़ों और दलितों के अधिकारों की बात की तो कुछ लोगों ने धर्म के नाम पर उनके खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की और उन्हें धमकी भी दी। किसी ने मेरी हत्या के लिए सुपारी दी तो किसी ने तलवार लहराते हुए कहा कि मैं स्वामी प्रसाद मौर्य को मार डालूंगा, लेकिन उनके खिलाफ आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।

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