सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ (Teesta Setalvad Case) को सात दिनों के लिए अंतरिम सुरक्षा प्रदान की और गुजरात उच्च न्यायालय के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें उन्हें 2002 के गुजरात दंगों के मामले में “तुरंत आत्मसमर्पण” करने के लिए कहा गया था। उच्च न्यायालय द्वारा जमानत याचिका खारिज किये जाने के बाद सीतलवाड ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था।
सीतलवाड पर 2002 के गुजरात दंगों से संबंधित मामलों में सबूत गढ़ने और गवाहों को प्रशिक्षित करने का आरोप लगाया गया था। इससे पहले दिन में, गुजरात उच्च न्यायालय ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी और उन्हें तुरंत आत्मसमर्पण करने को कहा।
जस्टिस बीआर गवई, एएस बोपन्ना और दीपांकर दत्ता की तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने देर रात की विशेष सुनवाई में सीतलवाड के मामले की सुनवाई की, क्योंकि पहले की दो-न्यायाधीशों की पीठ किसी समझौते पर नहीं पहुंच सकी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर 2022 में सीतलवाड को अंतरिम जमानत दे दी थी, जिसके बाद उन्हें गुजरात की साबरमती जेल से रिहा कर दिया गया था। उन्होंने नियमित जमानत के लिए गुजरात उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था, जिसे अदालत ने शनिवार को खारिज कर दिया। शीर्ष अदालत की अंतरिम जमानत ने सीतलवाड को अब तक गिरफ्तारी से बचा लिया है।
Teesta Setalvad Case: मामला क्या है?
तीस्ता सीतलवाड और पूर्व शीर्ष पुलिस आरबी श्रीकुमार को कथित तौर पर सबूत गढ़ने, जालसाजी करने और आपराधिक साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। 2002 के गुजरात दंगों के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा अंतरिम जमानत दिए जाने के बाद सितंबर 2022 में तीस्ता को गुजरात की साबरमती जेल से रिहा कर दिया गया था।