भरूच स्थित ॐ तपोवन आश्रममें परम पूज्य सिद्ध ध्यान योगी द्वारा धर्म और विज्ञानको साथ में जोड़कर हमारे ऋषि मुनिओकी योग विध्याको लोगो तक पहुँचाने का हो रहा एक विशेष कार्य। जिसके भागरूप हाल ही में हुए एक प्राम्भिक शिविर का आयोजन, जिसके जरिए लोगो की अध्यात्मिक जगत से जुड़ने की शुरुआत होती है और साथ ही में इसका खुद के जीवन में और दुसरो के जीवन में क्या सकारात्मक असर रहता है वो समझाया गया।
वैसे तो हमारा देश एक सनातन धर्मकी धरोहर माना जाता है। जहा पर श्री गणेशजी श्रीब्रह्माजी श्रीविष्णुजी श्रीशिवजी श्रीरामजी श्री कृष्ण और सारे देवी देवताओ का वास है। यहाँ पर हर एक स्थान का एक विशेष धार्मिक महत्त्व है। जहाँ पर कई सारे ऋषि मुनि भी हो गए और अभी भी है। जो हमारे सनातन धर्ममें कई सारी ऐसी विद्या छोड़ के गए है जिससे हमारी और जगतकी अध्यात्मिक और कई सारी प्रगति छुपी हुई है। जिसमे खास तौर पर माना जाता है योग। जो की हमारी भूमिकी एक विशेष धरोहर है जो सदियोंसे हमसे हमारे देश से दुनिया से जुडा हुआ है।
जिस योग की हम बात कर रहे है उसको हमारे ऋषि मुनि कई सदियों से हमारी आतंरिक बाह्य अध्यात्मिक और दुनियाकी सुखाकारीके लिए विज्ञानंको जोड़कर दिया हुआ है। पर अफ़सोस यह है की हमारी इस धरोहरको हम शायद भुला चुके है। पर कई न कई इसे लोगो तक पहुँचाने और इस विध्याको हर एक तक पहुँचाने का और इसका विस्तार करनेका काम कई सारे योगी, महात्मा और सक्षम लोग करते आ रहे है।
ऐसे ही एक सिद्ध योगी जिनका नाम परम पूज्य सिद्ध ध्यानयोगी नारायण स्वामी है, जिन्होंने ठाना है की जब तक इस स्थूल जगतमें है तब तक वो हमारे ऋषि मुनिओकी योग विध्याकी इस धरोहर को लोगो तक पहुचाएंगे और आने वाली पीढियोको इससे सुखकारी देने का और देशके भविष्य बनानेमें काम आए उस हेतु उनको भी तैयार करेंगे। उनका एक ही हेतु, सनातन धर्मकी इस धरोहरका ज्यादा से ज्यादा विस्तार हो। जिसके भागरूप शायद ही कोई जानता हो वैसे उन्होंने एक ॐ तपोवन नामसे गुजरातके भरूचमें नर्मदा नदीके तट पर आश्रम बनाया हुआ है। जहां पर कई सारे आज तक लोग जुड़ चुके है और उनके द्वारा हर साल हो रही अनेक शिविर जैसे प्रारंभीक शिविर, मौन शिविर, मिड ब्रेन शिविर और वायब्रेशन शिविरमें हिस्सा ले चुके है।
अभी हाल ही में उनके द्वारा एक प्रारंभिक शिविरका आयोजन किया गया था | जिसमे लोगो को अध्यात्मिक जगतमें कैसे जुड़ते है | परमात्मासे कैसे जुड़ते है, योगका इसमें क्या महत्त्व है| इसमें धर्म और विज्ञान कैसे जुडा हुआ है| इसका मनुष्य जीवनमें और जनहितके लिए क्या महत्त्व है, ये सार्री बाते थियरिकल और प्रेक्टिकल करके समझाया जाता है | बादमे परम पूज्य सिद्ध ध्यानयोगी नारायण स्वामी द्वारा शक्तिपात किया जाता है और ब्रह्मांडके साथ तार एक कर दिया जाता है, जिससे व्यक्तिकी अध्यात्मिक जगतकी शुरुआत होती है| इस शिविरमें हर साल देश विदेशसे लोग हिस्सा लेने पहुँचते है और इस बार भी देश विदेशसे करीब १५० से ज्यादा लोगोने हिस्सा लिया और दीक्षा ग्रहण की है| जिसमे हमारी टीमने उन सभी से और ॐ तपोवन आश्रमके अध्यक्ष रमेश वाडिया, यहाँ हिस्सा लेनेवाले लोगोसे और खास तौर पर परम पूज्य सिद्ध ध्यानयोगी नारायण स्वामी से मुलाकात की और विस्तार से जानकारी ली।
- परम पूज्य सिद्ध ध्यानयोगी नारायण स्वामी : यहाँ पर हुई प्रारंभिक शिविरका आयोजन 3 दिन का था। ॐ तपोवन आश्रम जो साधना करवाई जाती है वो इश्वर प्राप्ति करवाने का प्रथम चरण है। इसमें हमारे सनातन धर्ममें जो ऋषि मुनि परंपरा के इश्वरी परंपरा के जो मार्ग है उसके थियरिकल और प्रेक्टिकल करवाया जाता है। कई महात्मा लोगोने जो साक्षात्कार किया गया है उस अनुसार यहाँ शक्तिपात दीक्षा करते है| परमात्मा क्या है उनके जो स्वरूप है वो समजाया जाता है| महाभारत कालमें जो संजय की दिव्य दृष्टि थी वैसे ही यहाँ पर बच्चो की मिड ब्रेन शिविरमें इस विद्या को बच्चों में डेवेलोप करवाया जाता है| जिसमे उनके आज्ञाचक्र खोल दिया जाता है और उनको आंख बंद करके बहोत सारी एक्टिविटी प्रेक्टिकलमें करवाते है| उनको यहाँ बैठे ब्रह्मांडमें होने वाली गतिविधियोंकि जानकारी मिल जाती है| और हमारे ॐ तपोवन का लक्ष है की भारत को अध्यात्मिकके शिरमोर ले जाया जाए| भारतमें इसको सब तक इसको पहुँचाया जाए जिसके जरिए सब लोग समजे जाने कैसे लोग अपने आप को अध्यात्मिक, सांसारिक और देशहित जनहितके कार्यमे कैसे आगे बढे वो बताया जाए| यहाँ पर पाँच प्राण. पांच तत्व, सात शारीर, सात चक्रोंके बारे में बताया जाता है और प्रेक्टिकल करवाया जाता है| ध्यान के द्वारा यहाँ आतंरिक विकास होता है उस पर खास ध्यान दिया जाता है|
- रमेशभाई वाडिया, अध्यक्ष, ॐ तपोवन चेरिटेबल ट्रस्ट: ॐ तपोवन आश्रमकी स्थापना खुद परम पूज्य सिद्ध ध्यानयोगी नारायण स्वामीने स्वयं की है| यहाँ पर विविध शिविर जैसे प्रारंभिक शिविर, वायब्रेशन शिविर, मौन शिविर और मिड ब्रेन जैसे शिविर होती है। जिसमे से अभी प्रारंभिक शिविरका आयोजन यहाँ पर हुआ है| इसके बाद वायब्रेशन शिविर भी होती है जिसमे यहाँ बैठे ब्रह्मांडमें चले रहे तरंगो के बारे में जाना जा शकता है| मौन शिविरमें गुरुदेव द्वारा व्यक्तिका प्रानोत्थान करके परमात्मा तक पहुँचाने का काम होता है जिसमे कई लोगो को यह साक्षात्कार भी हो चूका है| मिड ब्रेन शिविर होती है जिसमे बच्चोकी आतंरिक शक्ति बढ़ाई जाती है और प्रेक्टिकल करवाके की जाती है| इसके अलावा कई सारे सेवाकीय कार्य भी किए जाते है| जिसमे कई बार गुरुदेव बाहर जाकर भी सेवा का कार्य करते है| जनकल्याण की भावना के लिए गुरुदेवने इस आश्रम की स्थापना की है, यहाँ पर बताया जाता है की सबमें परम परमात्मा बिराजमान है | और सबमे प्राण देखने है परमात्मा की प्राप्ति करनी है उसी गोल पर चलना है|
- अभिषेक पांडे, बेंगलोर: यहाँ पर आनेका कारन विशेष था जो पूरा हुआ है | जिसके लिए में गुरुदेवका आभारी हु| में अपने किसीके मित्र के बताने पर आया था | में IT से हु तो जल्दी बिलीव नहीं करता और पहले दिन मुझे कुछ खास नहीं लगा | पर बाद में जैसे जैसे कार्यक्रम आगे बढ़ा मुझे अलग ही उर्जा का महसूस हुआ | और आज जब गुरूजीने शक्तिपात किया वो जो महसूस हुआ उसके लिए मैं यही कहूँगा की इसको मैं शब्दों में बता नहीं शकता पर इसका अनुभव आप खुद करिए | मैं चार पाँच महीने से दिशाहीन था, मेरे पास कुछ नहीं था | और मैं तहे दिलसे अपने मित्र का भी आभार व्यक्त करता हु की उसने सही दिशा मुझे बताई और यह अनुभव करवाया |
- हेतल पावानी दालोद, छत्तीसगढ़: मुझे मेरी मित्रने बताया जो की यहाँ पर शिविर की हुई है उन्होंने मुझे बताया | पहले में बहुत भटकी हुई थी | मुझे लगता था की में अधूरी हु जिससे में बहुत कुछ जगह अनुभव कर चुकी हु | पर यहाँ आकर मुझे लगा की मेरी खोज पूरी हुई है और मुझे अपने सद्गुरु मिल चुके है| अब में सही जगह पर हु ऐसा मुझे अब लगता है|
- बिपुल पटेल पूना: ध्यान शिविर पहले कभी किया नहीं है पर यह एक दिव्य अनुभव है | मैं कहना चाहूँगा की यह जरुर करना चाहिए| मानसिक शारीरिक और स्पिरिचुअल बहुत अच्छा लगता है| थियरी प्रेक्टिकल से इतना अच्छा महसूस किया है| मैं गुरदेव गुरुमा का आभारी और यहाँ आकर यह दिव्य अनुभव सबकों करना चाहिए| मुझे इस शिविर के बारे में मेरे मामा ने बताया था | मेरा बिजी कार्यक्रम होने के बादमें इसको में पूरा कर पाया हु|
- सुनील चौहान, केन्या : इस शिविर में आने का कोई प्लान नहीं था यहाँ गुरदेव से मिलने के लिए आया था| इधर सुना की यहाँ शिविर है तो मुझे लगा की अब शिविर अटेंड करू | शिविरमें बहुत मझा आया जिसकामें अनुभव साझा कैसे करू वो पता नहीं लगता| मुझे बहुत हल्का फिल हो रहा है| जिसको शब्दों में नहीं कह शकते| शिविर में जिस तरह गुरुदेवने समझाया पूजा सब करते उसमे क्या कुछ है|
रिपोर्ट: अश्विनी पंड्या, गुजरात