– कशिश राजपूत
सुप्रीम कोर्ट ने शाहीन बाग (Shaheen Bagh) मामले में कहा है कि ‘‘प्रदर्शन करने का अधिकार कहीं भी और कभी भी’’ नहीं हो सकता और इसने पिछले साल पारित अपने आदेश की समीक्षा की मांग वाली याचिका खारिज कर दी | पिछले साल फैसले में उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि शाहीन बाग में संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शनों के दौरान सार्वजनिक रास्ते पर कब्जा जमाना ‘‘स्वीकार्य नहीं है’’
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कुछ अचानक प्रदर्शन हो सकते हैं लेकिन लंबे समय तक असहमति या प्रदर्शन के लिए सार्वजनिक स्थानों पर लगातार कब्जा नहीं किया जा सकता है जिससे दूसरे लोगों के अधिकार प्रभावित हों |
पिछले साल 7 अक्टूबर को अमित साहनी बनाम दिल्ली पुलिस कमिश्नर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था | इस फैसले में कोर्ट ने कहा था कि शाहीन बाग में CAA विरोधी प्रदर्शन के लिए जिस तरह से लंबे समय के लिए सार्वजनिक सड़क को रोका गया, वह गलत था | विरोध प्रदर्शन के नाम पर सड़क को इस तरह से नहीं बाधित किया जा सकता है | कनीज फातिमा समेत कई लोगों ने इस फैसले पर दोबारा विचार की मांग की थी |