साबरमती जेल से बाहर आते ही अतीक अहमद बोला ‘ये मुझे मारना चाहते हैं’

Atiq Ahmed
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Atiq Ahmed: गैंगस्टर अतीक अहमद के खिलाफ नया वारंट जारी होने के बाद मंगलवार को साबरमती जेल से प्रयागराज ले जाया गया। रास्ते में मीडिया से बातचीत के दौरान गैंगस्टर ने कहा कि उसे अपनी जान का खतरा है और उसे उत्तर प्रदेश पुलिस की मंशा पर शक है।

धूमनगंज थाने में कुख्यात माफिया अतीक अहमद व उसके बेटे समेत 13 पर धारा 147 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गयी है। सूची में असद कालिया, शकील, शाकिर, सबी अब्बास, फैजान, सैफ, नामी, अफ्फान, महमूद, मौद और असलम भी शामिल हैं। 8 अप्रैल को एक वारंट बी जारी किया गया था, जिसके मुताबिक अतीक अहमद को एक हफ्ते के भीतर यानी 15 अप्रैल को इलाहाबाद कोर्ट के सामने पेश होना होगा। अभियोजन पक्ष चाहे तो अर्जी दाखिल कर इसकी अवधि बढ़ा सकता है।

Atiq Ahmed पर केस

‘अपराधी से नेता बने माफिया अतीक अहमद को साबरमती जेल से प्रयागराज लाने के लिए यूपी पुलिस साबरमती जेल पहुंची। हत्या के एक मामले में अदालत की सहमति के बाद पुलिस उसे प्रोडक्शन वारंट के तहत प्रयागराज ले जा रही है।’

उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि सरकार कोर्ट के फैसले का पालन कर रही है और अब उत्तर प्रदेश में अपराधी बच नहीं पाएंगे। हम कोर्ट के फैसले का पालन कर रहे हैं, अब उत्तर प्रदेश में अपराधी नहीं बच पाएंगे। पाठक ने कहा कि सरकार पूरे मामले की निगरानी कर रही है और हमारा उद्देश्य सख्त से सख्त सजा दिलाना है।

जल्द ही यूपी पुलिस के काफिले ने गुजरात से प्रयागराज के लिए अपनी यात्रा शुरू की, अतीक अहमद ने कहा, “यह सही नहीं है। वे मुझे मारना चाहते हैं।”

अतीक अहमद दोषी करार

माफिया डॉन से राजनेता बने अतीक अहमद को एमपी-एमएलए कोर्ट ने 28 मार्च को दोषी ठहराया था और अब मृतक उमेश पाल के अपहरण मामले में कठोर आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। यह अहमद की पहली सजा है, भले ही उसके खिलाफ 100 से अधिक मामले दर्ज किए गए हों।

एक सांसद-विधायक अदालत ने 2006 के उमेश पाल अपहरण मामले में गैंगस्टर-राजनेता अतीक अहमद और दो अन्य को दोषी ठहराया और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई। अहमद के भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ और छह अन्य को मामले में बरी कर दिया गया है।

सरकारी वकील गुलाब चंद्र अग्रहरी ने कहा कि विशेष सांसद-विधायक अदालत के न्यायाधीश दिनेश चंद्र शुक्ला ने अहमद, एक वकील सौलत हनीफ और दिनेश पासी को मामले में दोषी ठहराया। अग्रहरी ने कहा कि तीनों को भारतीय दंड संहिता की धारा 364-ए (अपहरण या हत्या के लिए अपहरण) के तहत दोषी ठहराया गया था। धारा के तहत अधिकतम सजा मौत की सजा है।

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