केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बोर्ड परीक्षाओं में बदलाव की घोषणा की है, जिसके अनुसार स्टूडेंट्स को अब साल में दो बार 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा में शामिल होना अनिवार्य नहीं होगा। विद्यार्थियों के दबे होने वाले तनाव को कम करने के उद्देश्य से इस बदलाव का किया गया है।
शिक्षा मंत्री ने कहा, “केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (CABE) का पुनर्गठन किया जा रहा है क्योंकि इसका पुराना वर्शन बहुत बड़ा और व्यापक है और आज की शिक्षा की मांगों को ध्यान में रखकर इसकी तज्जो तैयारी की जा रही है। जब हम एनईपी के साथ आदर्श बदलाव कर रहे हैं, तो सीएबीई को भी अपनी तैयारी को फिर से समीक्षा करने की आवश्यकता है।”
इसे एक ऑप्शनल चुनौती के रूप में पूरी तरह स्टूडेंट्स के लिए देखा जाएगा, ताकि वे अपने आत्म-विवेक पर इसका निर्णय ले सकें। यह बदलाव बोर्ड परीक्षाओं में तनाव से गुजर रहे स्टूडेंट्स के लिए एक स्वागतित हो सकता है।
धर्मेंद्र प्रधान शिक्षा मंत्री ने कहा, “किसी की भी कीमती जान नहीं जानी चाहिए, छात्रों को तनाव मुक्त रखना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।” उन्होंने कहा कि कोटा में छात्रों का आत्महत्या करना एक संवेदनशील मुद्दा है, और सरकार उसका समाधान ढूंढने में लगी हुई है। वे आगे बोले कि शिक्षा, कौशल विकास मंत्रालय अपने उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए शिक्षार्थियों को तैयार करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठा रहे हैं।
धर्मेंद्र प्रसाद ने भी कहा कि ‘फर्जी स्कूलों’ के मुद्दे को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, और अब समय आ गया है कि इस पर गंभीरता से विचार-विमर्श किया जाए।
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