Uttarakhand Weather: जनवरी में भी बर्फ को तरस रहा केदारनाथ धाम, वीरान नजर आ रहे पहाड़

जनवरी का पहला पखवाड़ा बीतने को है, लेकिन केदारनाथ धाम और आसपास की पहाड़ियां हिमपात को तरस रही हैं। जबकि, बीते वर्षों में केदारपुरी दिसंबर अंत तक छह से आठ फीट मोटी बर्फ की चादर ओढ़ लेती थी। इस बार यहां शीतकाल में नाममात्र को बर्फबारी हुई, जबकि जनवरी में एक भी दिन बर्फबारी नहीं हुई। इस कारण धाम में दूर-दूर तक बर्फ नजर नहीं आ रही।
मौसम विभाग इसकी वजह कमजोर पश्चिमी विक्षोभ और हिमालयी क्षेत्र में वर्षा वाले बादल विकसित नहीं होने को बता रहा है। इससे मौसम सामान्य से अधिक शुष्क बना हुआ है। हालांकि, कोरी ठंड के कारण तापमान में दिनों दिन गिरावट आ रही है, जिसको देखते हुए धाम में पुनर्निर्माण कार्य बंद कर दिए हैं। समुद्रतल से 11,657 फीट की ऊंचाई पर स्थित केदारनाथ धाम बर्फबारी के कारण सामान्य रूप से जनवरी में चांदी की तरह चमकने लगता था।
पिछले वर्ष जनवरी में यहां चार फीट बर्फ थी और मार्च में मुश्किल से आवागमन शुरू हो पाया था। केदारनाथ में वर्ष 2013 से विभिन्न निर्माण एजेंसियों का कार्य देख चुके नेहरू पर्वतारोहण संस्थान के सूबेदार (सेनि.) मनोज सेमवाल ने बताया कि इस बार मौसम चक्र में आए परिवर्तन के कारण शीतकाल में यहां नाममात्र को ही वर्षा-बर्फबारी हुई।
ऐसे में धाम के साथ ही आसपास की पर्वत चोटियां सूनी पड़ी हैं। इसका असर क्षेत्र के तापमान पर भी पड़ा है। इन दिनों केदारनाथ में रात में तापमान माइनस पांच से सात डिग्री सेल्सियस तक पहुंच रहा है, जबकि गत वर्षों में यह माइनस 20 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता था। फिलहाल, दोपहर में तापमान आठ से 12 डिग्री सेल्सियस के बीच चल रहा है। वर्षा-बर्फबारी नहीं होने से मौसम शुष्क बना हुआ है और पहाड़ी क्षेत्रों में भी सुबह व रात को कोहरा छा रहा है।
जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की लोक निर्माण विभाग शाखा के अधिशासी अभियंता विनय ¨झकवाण ने बताया कि केदारनाथ में फिलहाल बर्फबारी तो नहीं हो रही, लेकिन ठंड बढ़ने से दिसंबर के अंतिम सप्ताह में वहां निर्माण कार्य में जुटे सभी 400 श्रमिक वापस लौट आए हैं। वर्तमान में धाम में मंदिर की सुरक्षा में तैनात आइटीबीपी के जवान, पुलिस और मंदिर समिति के कुछ कर्मचारी ही हैं।
शीतकाल में अब तक बेहद कम वर्षा-बर्फबारी हुई है। इस बार मानसून सीजन के बाद से ही पश्चिमी विक्षोभ कमजोर रहा और हिमालयी क्षेत्रों में वर्षा वाले बादल विकसित नहीं हो सके। इससे तापमान में भी लगातार उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। मौसम सामान्य से अधिक शुष्क बना हुआ है।