रूस ने स्पष्ट किया कि वह अपने मित्र देशों के साथ सैन्य और रणनीतिक सहयोग को और मजबूत करेगा। रूसी विदेश मंत्रालय ने पश्चिमी देशों से अपील की कि वे वैश्विक शक्ति संतुलन को समझें और अन्य देशों की संप्रभुता का सम्मान करें।
रूस ने बेलारूस के साथ संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘जापद’ में भारत की भागीदारी को लेकर यूरोप की चिंताओं को सिरे से खारिज कर दिया है। रूस ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि भारत एक शक्तिशाली देश है और पश्चिमी देशों को इस तरह की हास्यास्पद बातें नहीं करनी चाहिए। रूसी विदेश मंत्रालय की ये प्रतिक्रिया ऐसे समय में आई है जब यूरोपीय संघ ने भारत की संयुक्त सैन्य अभ्यास में भागीदारी पर चिंता जताई थी। यूरोपीय संघ ने कहा कि भारत की रूस से करीबी उसके साथ घनिष्ठ संबंधों को खतरे में डाल सकती है।
इस पर रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जखारोवा ने गुरुवार को कहा कि पश्चिमी देशों को कब यह समझ आएगा कि विशेषकर भारत जैसी शक्तियों पर हुक्म चलाने की कोशिश करना निरर्थकता और हास्यास्पद है। उन्होंने यूरोप की चिंताओं को “निराधार” और “बेहूदा दबाव” करार देते हुए कहा कि यह रूस और भारत के बीच मजबूत संबंधों को कमजोर नहीं करेगा।
पांच दिनों तक चले इस सैन्य अभ्यास ‘जापद 2025’ का समापन मंगलवार को हुआ, जिसमें रूस ने अपनी सामरिक परमाणु हथियारों की लॉन्चिंग का अभ्यास किया। इस अभ्यास में रूस की ‘ओरेश्निक’ हाइपरसोनिक मिसाइल की भी झलक देखने को मिली, जिसका परीक्षण पिछले साल यूक्रेन युद्ध के दौरान किया गया था। रूसी विदेश मंत्रालय ने यह भी उम्मीद जताई कि अभ्यास में शामिल हुए अमेरिकी सैन्य अधिकारियों ने स्वयं देखा होगा कि रूस नाटो के लिए कोई खतरा नहीं है।
ये रहा रूस का पूरा बयान
रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने कहा, “जैसा कि मैंने पहले भी कहा है कि मैं किसी तीसरे देशों के आपसी संबंधों पर टिप्पणी करना पसंद नहीं करती। लेकिन रूस और भारत के संबंधों पर टिप्पणी करने के लिए मैं तैयार हूं। हम आपस में मजबूत और समय की कसौटी पर खरे उतरे दोस्ताना रिश्तों से बंधे हुए हैं। मैं जोर देकर कहती हूं कि हमारे संबंध पूरी तरह से आत्मनिर्भर हैं। असीम संभावनाओं से भरा हुआ स्वरूप दोनों देशों की जनता के हित में लगातार साकार हो रहा है- भले ही भू-राजनीतिक माहौल उतार-चढ़ाव का क्यों न हों।”
उन्होंने आगे कहा, “रूस-भारत के बीच विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी की ठोस नींव है जो आपसी सम्मान, समानता, एक-दूसरे के हितों का ध्यान रखना और सबसे महत्वपूर्ण, अंतरराष्ट्रीय मंच पर एकजुट करने वाले एजेंडे को आगे बढ़ाती है। खासकर सैन्य और सैन्य-तकनीकी सहयोग के संदर्भ में, जिसकी लम्बी परंपराएं रही हैं।”
जखारोवा ने कहा, “हमारी साझेदारी कभी भी तीसरे देशों के खिलाफ नहीं रही है। इसका सबसे बड़ा उद्देश्य है- राष्ट्रीय सुरक्षा हितों की रक्षा करना, अंतरराष्ट्रीय स्थिरता और शांति को सुदृढ़ करना। हम रूसी-बेलारूसी सैन्य अभ्यासों में नई दिल्ली की भागीदारी का स्वागत करते हैं। इस संदर्भ में किसी बाहरी की ओर से व्यक्त की गई कोई भी तथाकथित चिंता निराधार और जानबूझकर गढ़ी हुई है। असल में यह हमारे भारतीय मित्रों पर खुलेआम दबाव बनाने का एक और तरीका है। वे उन्हें रूस के साथ सहयोग करने, संवाद करने और साझेदारी करने से रोकने की कोशिश करते हैं। आखिर पश्चिम कब समझेगा कि संप्रभु विदेश नीति अपनाने वाले देशों पर हुक्म चलाने की ऐसी कोशिशें कितनी व्यर्थ और सच कहें तो हास्यास्पद हैं- खासकर जब बात भारत जैसी शक्ति की हो।”
⚡️🇮🇳🇷🇺🇧🇾 RIDICULOUS West Pressuring India for Taking Part in #Zapad2025 Drills in Belarus – Russian MFA Spox Zakharova pic.twitter.com/22dIKEg6eb
— RT_India (@RT_India_news) September 19, 2025
यह सैन्य अभ्यास रूस, बेलारूस और अन्य मित्र देशों के बीच सैन्य सहयोग को मजबूत करने का हिस्सा था। इसमें शामिल देशों ने न केवल तकनीकी और सामरिक क्षमताओं का प्रदर्शन किया, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए अपनी प्रतिबद्धता भी दोहराई। रूस और भारत के बीच रक्षा सहयोग हाल के वर्षों में और गहरा हुआ है, जिसमें संयुक्त सैन्य अभ्यास, हथियारों का विकास और रणनीतिक वार्ता शामिल हैं। जापद अभ्यास में भारत की भागीदारी को दोनों देशों के बीच बढ़ते विश्वास और सहयोग के प्रतीक के रूप में देखा जा रहा है।
कुमाऊं रेजिमेंट की टुकड़ी ने लिया भाग
बता दें कि नाटो देशों के साथ बढ़ते तनाव के बीच रूस और बेलारूस ने ‘जापद-2025’ नामक एक विशाल संयुक्त सैन्य अभ्यास का आयोजन किया, जिसमें कई देशों ने भाग लिया। लेकिन भारतीय सेना की भागीदारी ने अंतरराष्ट्रीय हलकों में खासा ध्यान खींचा। रूसी सरकारी एजेंसी TASS के अनुसार, भारत ने इस अभ्यास में अपनी 65 सदस्यीय सैन्य टुकड़ी भेजी। भारत के रक्षा मंत्रालय ने भी इसकी पुष्टि की है।
भारत की ओर से बेहद सम्मानित कुमाऊं रेजिमेंट की टुकड़ी इस अभ्यास का नेतृत्व कर रही थी। रक्षा मंत्रालय ने कहा कि इस भागीदारी का उद्देश्य रूस के साथ “सहयोग और आपसी विश्वास की भावना को मजबूत करना” है। भारत के अलावा ईरान, बांग्लादेश, बुर्किना फासो, कांगो (DRC) और माली की टुकड़ियों ने भी भाग लिया।
यूरोप की चिंताओं के बावजूद, रूस ने स्पष्ट किया कि वह अपने मित्र देशों के साथ सैन्य और रणनीतिक सहयोग को और मजबूत करेगा। रूसी विदेश मंत्रालय ने पश्चिमी देशों से अपील की कि वे वैश्विक शक्ति संतुलन को समझें और अन्य देशों की संप्रभुता का सम्मान करें।