कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पेश कर दिया है। इसका नाम ‘नारी शक्ति वंदन बिल’ रखा गया है। इस बिल के तहत लोकसभा की 181 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। विधानसभा की 33 फीसदी सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। दिल्ली विधानसभा की 33 फीसदी सीटें महिलाओं के लिए होंगी। एससी की 84 रिजर्व सीटों में से 33 फीसदी महिलाओं के लिए होंगी और एसटी की 47 रिजर्व सीटों में 33 फीसदी सीटें महिलाओं के लिए होंगी। मिली जानकारी के मुताबिक, महिला आरक्षण की अवधि 15 साल के लिए होगी।
जाने क्या है महिला आरक्षण बिल का फॉर्मूला
कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पेश कर दिया है। इसका नाम ‘नारी शक्ति वंदन बिल’ रखा गया है। इस बिल के तहत लोकसभा की 543 सीटों में से 181 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। विधानसभा की 33% सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। दिल्ली विधानसभा की भी 33% सीटें महिलाओं के लिए होंगी। एससी की 84 रिजर्व सीटों में से 33% सीटें महिलाओं के लिए होंगी और एसटी की 47 रिजर्व सीटों में से भी 33% सीटें महिलाओं के लिए होंगी। महिला आरक्षण की अवधि इस बिल के तहत 15 साल के लिए होगी।
12 साल से फसा था ये बिल
महिला आरक्षण बिल, जिसे ‘नारी शक्ति वंदन बिल’ के नाम से जाना जाता है, बीते 27 सालों के इंतजार के बाद एक रियलिटी बन गया है। इस बिल को पहली बार साल 1996 में देवेगौड़ा की सरकार द्वारा लाया गया था, फिर 1998, 1999 और 2002 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के समय भी यह बिल पेश किया गया था।
साल 1998 में लालू यादव की पार्टी ने इस बिल की कॉपी छीन कर फाड़ दी और बिल के पेश करने का विरोध किया था। इसके बाद, डॉक्टर मनमोहन सिंह की सरकार ने 2008 में इसे राज्यसभा में पेश किया, जिसके बाद इसे ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी में भेज दिया गया था। फिर, 2010 में राज्यसभा ने इसे पारित कर दिया, लेकिन इस बिल को लोकसभा में पेश नहीं किया गया था, जिसके बाद यह बिल बीते 27 सालों से लटका हुआ था।
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