Israel and Palestine: इजरायल और फिलिस्तीन के झगड़ों के बारे में अक्सर खबरें आती रही हैं। गाजा पट्टी से लेकर अल अक्सा मस्जिद तक इजरायल और फिलिस्तीन के बीच टकराव की अंतहीन कहानियां हैं और रमजान के महीने में अक्सर ये विवाद बढ़ जाता है क्योंकि जिस अल अक्सा मस्जिद में ये भिड़ंत हुई है, उसी मस्जिद परिसर का एक हिस्सा यहूदियों का भी पवित्र स्थल है।
इजरायल और फिलिस्तीन के बीच झगड़े की लंम्बी और पूरानी कहानी रही है। दशकों से पूरी दुनिया देखते आ रही है कि वेस्ट बैंक पर इजरायल और फिलिस्तीन के बीच बारुदी खेल बहुत पहले से ही खेला जा रहा है। एक तरफ उपद्रवियों की पत्थरबाजी और आगजनी तो दूसरी ओर इजरायली सुरक्षाकर्मियों की फायरिंग की खबरें अक्सर सुर्खियों में बनी रहती हैं। यहां तक की गाजा पट्टी पर चलने वाले रॉकेट रण में भी इजरायल और फिलिस्तीन एक दूसरे पर बारुद बरसाते रहे हैं।
दरअसल, रमजान के महीने में फिर से यरुशलम की अल-अक्सा मस्जिद पर इजरायली पुलिस के छापे के बाद तनाव की स्थित बन गई है। इस बीच गाजा पट्टी से कम से कम 9 रॉकेट दागे गए। जवाब में इजरायल की ओर से हवाई हमले किए गए। अल अक्सा मस्जिद तोड़फोड़, फायरिंग और मारपीट से जुड़े कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 5 अप्रैल की शाम को इजरायली पुलिस ने यरुशलम की अल-अक्सा मस्जिद पर छापा मारा। पुलिस का कहना था कि छापेमारी मस्जिद में आंदोलनकारियों को घुसने से रोकने के लिए की गई। रमजान के चलते मस्जिद परिसर में काफी भीड़ थी। पुलिस ने कहा कि मस्जिद में उनके ऊपर पथराव किया गया।
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो – Israel and Palestine
वहीं, फिलिस्तीनियों का दावा है कि छापेमारी के दौरान इजराइली पुलिस ने स्टन गन और रबर की गोलियों का इस्तेमाल किया गया, जिसके चलते 50 लोग घायल हुए। आरोप है कि पुलिस ने नमाज अदा कर रहे लोगों पर हमला किया। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में भी पुलिस, मस्जिद में कुछ लोगों की पिटाई करती दिख रही है। लोगों को टॉर्च की रोशनी में लाठी-डंडों से पीटा जा रहा है।
इधर, गाजा पट्टी से रॉकेट दागे गए। जिसके जवाब में इजरायल ने हवाई हमले किए। खबर है कि इजरायली टैंकों ने हमास के ठिकानों पर भी गोलाबारी की। फिलिस्तीन के इस्लामी चरमपंथी संगठन हमास ने रॉकेट हमलों की जिम्मेदारी तो नहीं ली, लेकिन अल-अक्सा पर हुई छापेमारी को लेकर प्रतिक्रिया देने की बात कही।
हिंसा को लेकर इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कुछ “चरमपंथी” मस्जिद के अंदर थे। वो हथियारों, पत्थरों और आतिशबाजी का इस्तेमाल कर खुद को बचा रहे थे। उनके चलते ही ये स्थिति पैदा हुई। इज़राइल टेंपल माउंट पर यथास्थिति बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। हम हिंसक चरमपंथियों को इसे बदलने की अनुमति नहीं देंगे।
वहीं फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास के प्रवक्ता नबील अबू रुदीनेह ने कहा, हम पवित्र स्थलों पर सीमा पार करने के खिलाफ कब्जे की चेतावनी दे रहे हैं। इससे बड़ा विस्फोट होगा।
महमूद अब्बास, राष्ट्रपति, फिलिस्तीन
फिलिस्तीनी समूहों ने भी नमाजियों पर इजरायल के हमलों की निंदा की और उसे एक अपराध बताया है। हालाकि, तमाम देश हमलों की निंदा कर रहे, सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने कहा कि, इस तरह की घटनाएं शांति के प्रयासों को कमजोर करती हैं। ये अंतरराष्ट्रीय सिद्धांतों और मानदंडों का उल्लंघन है।
सऊदी अरब, विदेश मंत्रालय
बता दें कि, पिछले साल के रमजान के मौके पर भी अल-अक्सा मस्जिद के परिसर में इजरायली सुरक्षाकर्मियों और फिलिस्तीनी उपद्रवियों के बीच झड़प हुई थी। दरअसल, इन तमामों के विवादों का केंद्र वो हिस्सा है। जहां एक नहीं बल्कि तीन-तीन धर्मों और मजहबों के पवित्र स्थल मौजूद हैं।
इसे इस्लाम धर्म के अनुयायी अल-अक्सा मस्जिद के रुप में मक्का और मदीना के बाद इस्लाम का सबसे पवित्र स्थल कारार देते हैं। जबकि याहूदियों का कहना है कि,उनका पवित्र स्थल टैंम्पल माउंट हैं। जहां उनके सबसे पहले मंदिर को तोड़कर मस्जिद बना दी गई थी और तीसरी तरफ ईसाइयों का मानना है कि यरुशलम में अल-अक्सा मस्जिद के परिसर में ही, कभी ईसा मसीह को सूली पर लटकाया गया था।
अल-अक्सा मस्जिद के इतिहास के बारे में बताया जाता है कि, पैगम्बर मोहम्मद के निधन के चार साल बाद इस मस्जिद का निर्माण करवाया गया था..इस मस्जिद के ठीक सामने एक गुम्बद वाली एक और इमारत मौजूद है। इसे डॉम ऑफ द रॉक कहते हैं…इस इमारत के सामने एक छोटी इमारत डॉम ऑफ द चैन भी है।
रमजान के माह में फिर से क्यों बढ़ रहा विवाद?
मुस्लमानों का मानना है कि, डॉम ऑफ द रॉक के अंदर ही वो चट्टान रखी हुई है। जिसके ऊपर से पैगम्बर मोहम्मद ने जन्नत के लिए पराग घोड़े पर ऊड़ान भरी थी। जबकि याहूदियों का दावा है कि, उनके याहूदी राजा सोलोमन डॉम ऑफ द चैन से ही अपना फैसला सुनाया करते थे। इसी टैम्पल माउंट परिसर में वेस्टर्न वॉल ऑफ भी जिसे पवित्र मान कर याहूदी भी पूजा करते हैं। इस टैम्पल माउंट परिसर में कुल मिलाकर 11 दरवाजें हैं। जिनमें से 10 दरवाजें सिर्फ मुस्लिमों के इस्तेमाल के लिए और जबकि सिर्फ 1 दरवाजे से याहूदी अपने पवित्र स्थल तक जाते हैं।
वहीं ईसाइयों का मानना है कि इसी यरुशलम की मस्जिद के परिसर में ईसा मसीह पैदा हुए और ईसा मसीह इसी शहर में सूली पर भी लटकाया गया था। इस लिहाज से ईसाई भी टैम्पल माउंट के उन हिस्सों को पवित्र मानते हैं और उनपर अपना दावा भी करते हैं।