नई दिल्ली: भारत ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपनी पहचान बनाई है, जब ऑनलाइन ग्रोसरी डिलीवरी प्लेटफ़ॉर्म “जेप्टो” (Zepto) ने 11 महीनों के इंतजार के बाद यूनिकॉर्न (Unicorn) क्लब का हिस्सा बनकर एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। जेप्टो ने $1.4 बिलियन की वैल्यूएशन पर 200 करोड़ डॉलर (करीब 1,650 करोड़ रुपये) जुटाकर यूनिकॉर्न क्लब में एंट्री मारी है.
यूनिकॉर्न क्या होते हैं?
यूनिकॉर्न स्टार्टअप वह कंपनियां होती हैं जिनकी वैल्यूएशन 1 अरब डॉलर (करीब 8200 करोड़ रुपये) से ज्यादा होती है। इन कंपनियों के पीछे होते हैं वे विशेष आईडिया और विकसन की शक्ति जो उन्हें अपने क्षेत्र में अग्रणी बनाती हैं।
सबसे ज्यादा यूनिकॉर्न किस देश में?
सामाजिक मीडिया प्लेटफ़ॉर्म “वर्ल्ड ऑफ स्टैटिस्टिक्स” ने हाल ही में सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स (पहले ट्विटर) पर सबसे ज्यादा यूनिकॉर्न वाले 5 देशों की एक लिस्ट जारी की है। इस लिस्ट में निम्नलिखित पांच देश हैं:
- संयुक्त राज्य अमेरिका: अमेरिका में सबसे ज्यादा यूनिकॉर्न हैं, जहां यूनिकॉर्न स्टार्टअप की संख्या 644 हैं.
- चीन: चीन दूसरे नंबर पर है, जहां 302 यूनिकॉर्न हैं.
- भारत: भारत में 111 यूनिकॉर्न हैं, और यहाँ का यूनिकॉर्न स्टार्टअप क्लब वैल्यूएशन में तीसरे स्थान पर है।
- यूके (यूनाइटेड किंगडम): यूके चौथे पायजान पर है, जहां 46 यूनिकॉर्न हैं.
- जर्मनी: जर्मनी पांचवें स्थान पर है, जहां 29 यूनिकॉर्न हैं.
जेप्टो का यूनिकॉर्न बनना: भारतीय ग्रोसरी डिलीवरी क्षेत्र में एक बड़ी कदम
जेप्टो का यूनिकॉर्न बनना भारतीय ग्रोसरी डिलीवरी क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह विशेष रूप से COVID-19 महामारी के बाद बढ़ती डिजिटल डिमांड के साथ मिलकर हुआ है, जिसने ऑनलाइन खरीददारों को उनके आवश्यक आपूर्ति को पहुँचाने में मदद की है।
भारतीय वित्तीय बाजार में यह यूनिकॉर्न क्लब में शामिल होने के साथ ही भारत के ग्रोसरी डिलीवरी क्षेत्र को विशेष रूप से महत्वपूर्ण बनाया है। यह विकास भारतीय स्टार्टअप एकोसिस्टम के लिए एक सकारात्मक संकेत हो सकता है और डिजिटल व्यापार के क्षेत्र में नये द्वार खोल सकता है।
जेप्टो के सफल होने से यह साबित हो गया है कि भारतीय स्टार्टअप्स के लिए भविष्य में भी बड़े संभावनाएँ हैं और यह उनके लिए नए उद्यमिक सागर की ओर कदम बढ़ाने का संकेत हो सकता है