मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में चल रही आम आदमी पार्टी (आप) सरकार द्वारा उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना के खिलाफ आरोप उठाए गए हैं। उपराज्यपाल कार्यालय ने एक बयान जारी किया है जिसमें कहा गया है कि सरकार द्वारा विभिन्न विभागों और एजेंसियों में नियुक्त किए गए लगभग 400 विशेषज्ञों की सेवाएं अनिवार्य मंजूरी के बिना और गैर-पारदर्शी तरीके से की गईं। इसके अलावा, इन नियुक्तियों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) उम्मीदवारों के लिए आरक्षण नीति का भी पालन नहीं किया गया है।
उपराज्यपाल के बयान में इस निर्णय की मंजूरी के बाद उपराज्यपाल और आप सरकार के बीच टकराव की आशंका जताई गई है। बयान में यह भी दावा किया गया है कि इन निजी व्यक्तियों के नियुक्तियों में शैक्षिक और कार्य पात्रता मानदंडों को पूरा नहीं किया गया है और कार्य अनुभव प्रमाणपत्रों की प्रामाणिकता को भी सत्यापित नहीं किया गया है। बयान में इसे “हेराफेरी” भी कहा गया है।
इस बयान के बाद, आरोपों के बावजूद, अभी तक सरकार द्वारा इस मामले में कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। यह मामला उपराज्यपाल और सरकार के बीच नई विवादों की ओर बढ़ा सकता है।