जम्मू: जम्मू एवं कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने गुरुवार को पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) प्रमुख महबूबा मुफ्ती पर नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला के बारे में पूर्व रॉ प्रमुख एएस दुलत की नवीनतम पुस्तक पर उनकी टिप्पणी के लिए निशाना साधा।
उन्होंने यहां संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘‘अगर महबूबा मुफ्ती मानती हैं कि दुलत ने जो कुछ लिखा है वह सब सच है, तो क्या हमें भी उनकी पहली किताब में उनके पिता के बारे में लिखी गई बातों को सच मान लेना चाहिए?’’
मुफ्ती के पिता स्वर्गीय मुफ्ती मोहम्मद सईद जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री थे।
मुफ्ती ने कहा कि वह रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के पूर्व प्रमुख दुलत द्वारा अपनी नवीनतम पुस्तक में फारूक अब्दुल्ला द्वारा संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का निजी तौर पर समर्थन करने के खुलासे से आश्चर्यचकित नहीं हैं।
उमर अब्दुल्ला ने कहा, “अगर महबूबा मुफ़्ती जी को लगता है कि दुलत द्वारा लिखी गई हर बात सच है, तो क्या हमें उनके पिता के बारे में उनकी पहली किताब में लिखी गई बातों को भी सच मान लेना चाहिए? अगर हम इसे सच मानते हैं, तो महबूबा जी लोगों को कैसे समझा सकती हैं? उन्हें कृपया इसका जवाब देना चाहिए।”
उन्होंने आरोप लगाया कि किताबों की बिक्री बढ़ाने के लिए तथ्यों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करना दुलत की आदत है। उन्होंने पूछा, “ऐसे दोस्तों के होते हुए दुश्मनों की क्या जरूरत है?”
इससे पहले पीडीपी प्रमुख ने श्रीनगर में कहा था, “दुलत के खुलासे मेरे लिए कोई नई बात नहीं है। यह पिता-पुत्र जोड़ी (फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला) 3 अगस्त, 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने गए थे। फारूक साहब 5 अगस्त, 2019 को संसद भी नहीं गए। इसलिए मेरे लिए कुछ भी आश्चर्यजनक नहीं है।”
दुलत पर कटाक्ष करते हुए अब्दुल्ला ने कहा कि जब किताबें बेचने की बात आती है तो वह सच्चाई का साथ नहीं देते।
उन्होंने कहा, “अपनी पहली किताब में भी उन्होंने किसी को नहीं बख्शा था। इस किताब में भी उन्होंने फारूक साहब को नीचा दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।”
मुख्यमंत्री ने कहा, “खैर, कम से कम अब तो फारूक साहब को दुलत की असली पहचान समझ में आ गई है। उन्हें अब इस भ्रम में नहीं रहना चाहिए कि जब किताब रिलीज़ होगी तो फारूक साहब उनके साथ खड़े होंगे।”
भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने 5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त कर दिया था, जो जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करता था और तत्कालीन राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया था।
मुफ्ती ने यह भी दावा किया कि 2014 में उमर अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर में सरकार गठन के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी।