कश्मीर क्या बदला, लोकसभा चुनाव (Srinagar Lok Sabha Election 2024) के मुद्दे भी बदल गए।
कश्मीरी दल भले ही अनुच्छेद 370 के मुद्दे को हवा देने और राज्य के दर्जे के नाम पर मतदाताओं को रिझाने की कोशिश करें, लेकिन आम कश्मीरियों को इससे कोई सरोकार नहीं है। लोग रोजगार, बिजली-पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं के साथ युवाओं में बढ़ती नशे की लत जैसी चुनौतियों के निपटारे के लिए ठोस उपाय चाहते हैं।
मूल आवश्यकताओं पर अधिक फोकस
लोग अब आतंकवाद व अलगाववाद की बात नहीं करते बल्कि चाहते हैं कि कश्मीर में बड़े-बड़े उद्योग स्थापित हों, जो इन्हें पूरा करने का वादा करेगा, हमारा वोट उसी को जाएगा। श्रीनगर-गांदरबल संसदीय क्षेत्र में 13 मई को मतदान हो रहा है, जागरण ने मतदाताओं के बीच जाकर उनसे सीधी बात की।
श्रीनगर निवासी अब्दुल अहद हकाक ने कहा, यह सही है कि केंद्र और प्रदेश सरकार के प्रयासों से हमें अलगाववाद व आतंकवाद से काफी हद तक छुटकारा मिला है, लेकिन बेरोजगारी का ग्रहण अभी भी है।
बेरोजगार पर की जा रही बात
हमारे प्रदेश में छह लाख से अधिक पढ़े-लिखे बेरोजगार हैं। मेरे दो बेटे हैं। एक ने एयरोनाटिक इंजीनियरिंग और दूसरे ने एमबीए कर रखा है।
सरकार ने बेशक पढ़े-लिखे बेरोजगारों के लिए योजनाएं भी शुरू की हैं, लेकिन यहां बड़े उद्योग आएंगे तभी युवाओं को रोजगार मिल सकेगा। ऐसे प्रतिनिधि चाहते हैं, जो संसद में हमारे मुद्दों को उठाए। उनके पास बैठे मोहम्मद इब्राहिम गनई ने कहा, यहां हालात बदले, विकास का नया दौर शुरू हुआ।
जो बिजली की दिक्कत दूर करेगा, वही हमारा नेता
गांदरबल जिले के अकहाल इलाके के रहने वाले इलयास अहमद खान ने कहा, मैं बाकी मुद्दों पर बात नही करूंगा, अलबत्ता हमारे इलाके में बिजली की सबसे बड़ी समस्या है।
खान ने कहा, 300 परिवारों वाले हमारे गांव के लिए 250 केवी का बिजली ट्रांसफार्मर है, जो हर दूसरे दिन जल जाता है। फिर मरम्मत के लिए हफ्तों पड़ा रहता है। जो बिजली की दिक्कत दूर करेगा, वही हमारा नेता होगा।