कांग्रेस दिग्गजों में चल रही वॉर, हुड्डा के भरोसे उम्मीदवार; इन सीटों पर ज्यादा फोकस

हरियाणा की आठ लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ रहे कांग्रेस उम्मीदवार पूर्व मुख्मयंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा (Bhupinder Singh Hooda) के चुनाव प्रचार के भरोसे हैं। राज्य की सिरसा लोकसभा सीट एकमात्र ऐसी सीट है, जहां हुड्डा अभी तक चुनाव प्रचार के लिए नहीं गए।

सिरसा से सैलजा चूंकि सांसद रह चुकी हैं, इसलिए वह इस संसदीय क्षेत्र के चप्पे-चप्पे से वाकिफ हैं। इसलिए अपने चुनाव प्रचार में उन्होंने पूरी ताकत झोंकी हुई है। कुरुक्षेत्र सीट आइएनडीआइए गठबंधन के खाते में गई है, जहां से आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सुशील गुप्ता चुनाव लड़ रहे हैं।

दिनभर कहीं भी रहें रात को रोहतक में ही रहने की होती है हुड्डा की कोशिश

रोहतक से कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र सिंह हुड्डा चुनाव लड़ रहे हैं। दीपेंद्र हुड्डा चौथी बार सांसद बनने के इराधे से चुनावी रण में हैं। वह स्वयं तो चुनाव प्रचार कर ही रहे हैं, लेकिन उनके पिता पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी रोहतक में डेरा डाला हुआ है।

साल 2019 के लोकसभा चुनाव में हुड्डा स्वयं सोनीपत से चुनाव लड़े थे, जिस कारण वह अपने बेटे दीपेंद्र के चुनाव पर ध्यान नहीं दे पाए थे और दीपेंद्र अपने पिता के चुनाव पर सोनीपत में ध्यान नहीं दे सके थे।

नतीजतन दोनों चुनाव हार गए थे। इस बार हुड्डा परिवार से सिर्फ दीपेंद्र रोहतक से चुनाव लड़ रहे हैं। हुड्डा पूरे प्रदेश में दिनभर कहीं भी रहें, लेकिन उनकी कोशिश रात को रोहतक में ही रहने की होती है, ताकि लोगों से संवाद का सिलसिला बढ़ाया जा सके।

पुराने मित्र सतपाल ब्रह्मचारी के चुनाव को भी गति देने में लगे हैं हुड्डा हुड्डा का मुख्य फोकस अपने पुराने मित्र हरिद्वार के पूर्व मेयर सतपाल ब्रह्मचारी के चुनाव प्रचार को भी गति देने पर है। सतपाल ब्रह्मचारी सोनीपत लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं।

साल 2019 के लोकसभा चुनाव में हुड्डा स्वयं सोनीपत से चुनाव लड़े थे, जिस कारण वह अपने बेटे दीपेंद्र के चुनाव पर ध्यान नहीं दे पाए थे और दीपेंद्र अपने पिता के चुनाव पर सोनीपत में ध्यान नहीं दे सके थे।

नतीजतन दोनों चुनाव हार गए थे। इस बार हुड्डा परिवार से सिर्फ दीपेंद्र रोहतक से चुनाव लड़ रहे हैं। हुड्डा पूरे प्रदेश में दिनभर कहीं भी रहें, लेकिन उनकी कोशिश रात को रोहतक में ही रहने की होती है, ताकि लोगों से संवाद का सिलसिला बढ़ाया जा सके।