क्यों बदलना पड़ा यूपी में धर्मांतरण विरोधी कानून, देशभर में और कहां-कहां लागू हैं ऐसे नियम?

उत्तर प्रदेश में लव जिहाद के खिलाफ योगी सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। बीते दिन सरकार ने लव जिहाद के मौजूदा कानून में बदलाव के लिए विधेयक पेश किया। मंगलवार को यह विधेयक विधानसभा से पारित हो गया। संशोधन विधेयक में धर्म परिवर्तन से जुड़े अपराधों में सजा की अवधि को बढ़ा दिया गया है। इसमें आजीवन कारावास और एक लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। साथ ही, विदेशों से धर्म परिवर्तन के लिए होने वाली फंडिंग पर अंकुश लगाने के लिए भी सख्त प्रावधान किए गये हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने सोमवार को विधानसभा में धर्म परिवर्तन या लव जिहाद विरोधी विधेयक पेश किया। पेश किए गये बिल को उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध (संशोधन) विधेयक नाम दिय गया है। नाबालिग, एससी-एसटी का धर्म परिवर्तन कराने पर उम्रकैद के प्रावधान वाला विधेयक मंगलवार को विधानसभा से पारित हो गया। विधानसभा से पारित होने के बाद इसे विधान परिषद भेजा जाएगा। उच्च सदन से पारित होने के बाद राज्यपाल के पास जाएगा। फिर इसे राष्ट्रपति को भेजा जाएगा। यूपी सरकार ने इससे पहले नवंबर 2020 में इसके लिए अध्यादेश जारी किया था। इसके बाद फरवरी 2021 में उत्तर प्रदेश विधानमंडल के दोनों सदनों से विधेयक पारित किया गया और उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम-2021 को कानूनी रूप में मान्यता मिली। सरकार का कहना है कि गुमराह कर शादी करने और अनुसूचित जाति व जनजाति (एससी- एसटी) के धर्म परिवर्तन के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। इन्हीं मामलों पर राज्य सरकार अंकुश लगाने जा रही है। बदलाव के लिए लाए गए इस विधेयक में धर्म परिवर्तन से जुड़े अपराधों में सजा की अवधि को बढ़ाने का प्रावधान है। इसमें आजीवन कारावास और एक लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। साथ ही, विदेशों से धर्म परिवर्तन के लिए होने वाली फंडिंग पर अंकुश लगाने के लिए भी सख्त प्रावधान किए गये हैं।

2021 में बने कानून में एक से 10 साल तक की सजा और एक लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान था। संशोधन के जरिये पिछले विधेयक को सजा और जुर्माने की दृष्टि से और मजबूत किया गया है। नए प्रावधानों के अनुसार यदि किसी नाबालिग, दिव्यांग अथवा मानसिक रूप से दुर्बल व्यक्ति, महिला, एससी-एसटी का धर्म परिवर्तन कराया जाता है, तो दोषी को आजीवन कारावास और एक लाख रुपये जुर्माने से दंडित किया जा सकेगा। इसी तरह, सामूहिक धर्म परिवर्तन पर भी आजीवन कारावास और एक लाख रुपये जुर्माने की सजा होगी। विदेशी या गैरकानूनी संस्थाओं से फंडिंग हासिल करने पर 14 वर्ष तक की सजा और 10 लाख जुर्माने का प्रावधान किया है। यदि कोई धर्म परिवर्तन के लिए किसी व्यक्ति के जीवन या संपत्ति को भय में डालता है, हमला या बल प्रयोग करता है, शादी करने का झूठा वादा करता है, प्रलोभन देकर किसी नाबालिग, महिला या व्यक्ति की तस्करी करता है, तो उसे न्यूनतम 20 साल की सजा होगी। इसे ताउम्र तक बढ़ाया जा सकेगा। पीड़ित के इलाज और पुनर्वास के लिए भी जुर्माना देना होगा।

सरकार के मुताबिक, यह संशोधन विधेयक धर्म परिर्वतन के अपराध की संवेदनशीलता और गंभीरता के मद्देनजर लाया गया है। इससे विदेशी एवं राष्ट्रविरोधी ताकतों की संगठित साजिश रोकी जा सकेगी। सजा और जुर्माने की राशि को बढ़ाने के साथ जमानत की कड़ी शर्तों के प्रावधान भी किए गए हैं। साथ ही, नाबालिग, दिव्यांग, मानसिक रूप से अस्वस्थ लोगों को भी अपराध का शिकार होने से बचाया जा सकेगा। मुख्य विपक्ष दल समाजवादी पार्टी ने इस विधेयक पर सवाल उठाए हैं। पार्टी के के नेता फखरुल हसन चांद ने कहा कि भाजपा केवल नकारात्मक राजनीति करना चाहती है। वह बेरोजगारी और पेपर लीक के बारे में कुछ नहीं करना चाहती। चांद ने कहा कि ये ध्यान भटकाने वाले मुद्दे हैं। इनसे लोगों का कोई भला नहीं होगा। वहीं कुछ मुस्लिम संगठनों ने प्रस्तावित कानून का विरोध जताया है। ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन ने कहा कि धर्मांतरण और गुमराह कर शादी करने पर पहले से ही कानून है। अतिरिक्त कानून बनाने का कोई औचित्य नहीं है। मौलाना शहाबुद्दीन ने आरोप लगाया कि ऐसा लगता है कि इस विधेयक से यूपी सरकार कुछ तबकों को भयभीत करना चाहती है। हालांकि, उत्तर प्रदेश एकलौता राज्य नहीं है जहां लव जिहाद या धर्मांतरण विरोधी कानून है। अगस्त 2023 तक देशभर में 10 राज्यों में धर्मांतरण या लव जिहाद विरोधी कानून लागू हो चुके थे। उत्तर प्रदेश के साथ उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, हरियाणा, गुजरात, झारखंड, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश और ओडिशा में ये कानून हैं। पिछले साल अगस्त में महाराष्ट्र लव जिहाद के खिलाफ कानून लाने का एलान किया था। महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि राज्य अन्य राज्यों में लव जिहाद विरोधी कानूनों का अध्ययन कर रहा है और जल्द ही एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) लेकर आएगा।