गांव में जैसे ही पहुंचे 11 शव, मच गई की पुकार।
रो-रोकर गला सूख रूंध रहा है और आंखें सूज चुकी हैं। यह हाल मुरसान के गांव नगला उदय सिंह व हाथरस जंक्शन क्षेत्र के गांव मझोला के उन घरों का है , जिन घरों ने अपने परिवार के सदस्यों को जम्मू बस हादसे में खो दिया है। दोनों ही गांवों में गमगीन माहौल है।
हालात यह हैं कि घरों की महिलाएं और बेटियां रो-रोकर बार-बार बेहोश हो रही हैं, आंखें सूज गई हैं। स्वास्थ्य विभाग की टीम महिलाओं को ओआरएस के घोल पिला रही हैं। स्वास्थ्य परीक्षण लगातार समय-समय पर किया जा रहा है।
इगलास के गांव नाया के 11 शव शनिवार की शाम करीब सात बजकर 20 मिनट पर गांव पहुंचे। गांव के बाहर बगीची में सभी ताबूत एंबुलेंस से उतारे गए। ताबूत उतरते ही ऊपर नाम पढ़ने के बाद परिवार वालों ने ताबूत खोलकर चेहरे देखे और ताबूत सहित शवों को अपने-अपने घरों को ले गए।
हालांकि प्रशासन की ओर से बगीची में ही परिवार की महिलाओं, परिजन व रिश्तेदारों को शव दिखाने और वहीं से श्मशान घाट ले जाने की तैयारी थी। एडीएम प्रशासन ने भी शवों को घर न ले जाने की अपील की, लेकिन जब परिवार वाले नहीं माने तो सभी को शव घरों पर ले जाने दिया।
जम्मू बस हादसे में मृत, गंभीर घायलों व घायलों को जम्मू-कश्मीर सरकार ओर से आर्थिक मदद जारी की गई है। जिला मजिस्ट्रेट जम्मू सचिन कुमार वैश्य ने जिलाधिकारी हाथरस के खाते में 55.40 लाख रुपये की धनराशि भेज दी है। 10 मृतकों को पांच-पांच लाख, 10 गंभीर घायलों को 50-50 हजार व चार घायलों को 10-10 हजार रुपये दिए गए हैं।
बस हादसे में एक बड़ी लापरवाही सामने आई है। इस घटना में अपनी पत्नी को खोने और स्वयं घायल इगलास के नाया गांव निवासी भगवान सिंह के अनुसार अधिक सवारियां देखकर चालक ने बस ले जाने से मना कर दिया था। इसके बाद बस मालिक ने तत्काल इंतजाम कर दूसरे चालक को बस लेकर शिवखोड़ी के लिए भेजा था। इस चालक को रास्ता नहीं पता था।