कहा,श्री अकाल तख्त साहिब ही एकमात्र पंथक सर्वोच्च अथॉरिटी है
चंडीगढ़, 7 जुलाई 2025: विश्व स्तरीय सिख संस्थाओं का प्रतिनिधित्व करने वाली ग्लोबल सिख काउंसिल (जी एस जी) ने तख्त श्री हरिमंदिर साहिब, पटना साहिब के पांच ग्रंथियों द्वारा शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल को ‘तनखाहया’ (दंडनीय) घोषित करने की कड़ी निंदा की है। काउंसिल ने इस निर्णय को व्यक्तिगत और मनमाना कदम बताते हुए इसे सिख मर्यादा का घोर उल्लंघन, पंथक प्रोटोकॉल की अनदेखी तथा श्री अकाल तख्त साहिब के अधिकार और सर्वोच्चता को सीधी चुनौती करार दिया है। काउंसिल ने स्पष्ट किया है कि पंथक मामलों में अंतिम निर्णय लेने का अधिकार केवल श्री अकाल तख्त साहिब को ही है।
ग्लोबल सिख काउंसिल की प्रधान डा. कंवलजीत कौर ने अपने बयान में कहा कि क्षेत्रीय तख्तों का अधिकार केवल अपने क्षेत्रीय मुद्दों और स्थानीय धार्मिक मामलों तक सीमित है। वे अपने अधिकृत कार्यक्षेत्र से बाहर हस्तक्षेप नहीं कर सकते। सुखबीर सिंह न तो पटना या बिहार के निवासी हैं और न ही उनके विरुद्ध लगाए गए आरोप क्षेत्रीय हैं, बल्कि वे राष्ट्रीय स्तर के मुद्दे हैं। इसलिए पटना साहिब तख्त के पास इस मामले में कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है।
डा. कंवलजीत कौर ने ज़ोर देते हुए कहा कि श्री अकाल तख्त साहिब संपूर्ण पंथक निर्णयों में सर्वोच्च है और इसका दर्जा अन्य सभी तख्तों से ऊपर है। श्री अकाल तख्त साहिब की स्थापना गुरु साहिब द्वारा की गई थी, जबकि पटना साहिब, हजूर साहिब, केसगढ़ साहिब और दमदमा साहिब जैसे चार क्षेत्रीय तख्त शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एस जी पी सी ) द्वारा स्थानीय धार्मिक मामलों की देखरेख के लिए स्थापित किए गए थे। इनमें से तीन तख्त 17वीं और 18वीं सदी में स्थापित हुए थे और चौथा तख्त वर्ष 1966 में स्थापित हुआ था। ऐसे में कोई भी क्षेत्रीय तख्त अथवा उनके ग्रंथियों को समूचे सिख पंथ से जुड़े मामलों में आदेश या हुकमनामे जारी करने का अधिकार नहीं है।
उन्होंने आगे कहा कि साल 2003 में पांच सिंह साहिबान (पांचों तख्तों के जत्थेदारों) द्वारा पारित गुरमतें में स्पष्ट किया गया था कि पंथक मामलों में केवल श्री अकाल तख्त साहिब से ही हुकमनामे जारी किए जा सकते हैं। इसके बाद, 2015 में श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह द्वारा जारी एक और हुकमनामा भी यही पुष्टि करता है कि कोई भी क्षेत्रीय तख्त अपने अधिकार क्षेत्र का दुरुपयोग नहीं कर सकता।
ग्लोबल सिख काउंसिल ने दोहराया कि क्षेत्रीय तख्तों का कर्तव्य है कि वे श्री अकाल तख्त साहिब के नेतृत्व और मार्गदर्शन में तालमेल के साथ काम करें। श्री अकाल तख्त सिख शासन व्यवस्था और एकता की केंद्रीय संस्था है। डा. कंवलजीत कौर ने कहा कि यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ राजनीतिक विरोधी तख्त पटना साहिब जैसे सम्मानित स्थल का उपयोग सिख एकता को तोड़ने और स्थापित धार्मिक मर्यादाओं को भंग करने के लिए कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि 1986 के सरबत खालसा तथा श्री अकाल तख्त द्वारा समय-समय पर जारी हुकमनामों में बार-बार स्पष्ट किया गया है कि कोई भी व्यक्ति या संस्था समूचे खालसा पंथ के सामूहिक निर्णयों को प्रभावित नहीं कर सकती।
जी एस सी प्रधान ने डा. बल देते हुए कहा कि क्षेत्रीय तख्तों का मूल उद्देश्य पंथ को एकजुट रखना है और उन्हें अकाल तख्त और एक-दूसरे के साथ समन्वय में काम करना चाहिए। यदि कोई क्षेत्रीय तख्त अपने स्तर पर सिखों को ‘तनखैया’ घोषित करने वाले आदेश जारी करता है, तो वह पंथक उद्देश्यों के विरुद्ध कार्य करता है। ऐसे कदम तख्तों को एक-दूसरे के विरोध में खड़ा कर देते हैं, सिख समाज में मतभेद उत्पन्न करते हैं और तख्तों की गरिमा और पवित्रता को नुकसान पहुंचाते हैं।
ग्लोबल सिख काउंसिल ने सभी सिख संस्थाओं और संगत से अपील की है कि वे केवल श्री अकाल तख्त साहिब की सर्वोच्चता को मान्यता दें। साथ ही एस जी पी सी से यह भी कहा कि वे सिख प्रभुसत्ता को कमजोर करने वाले अवज्ञाकारी कमेटी सदस्यों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें। काउंसिल ने पटना साहिब कमेटी से भी आग्रह किया है कि वे अपने गैरकानूनी फैसले को तुरंत वापस लें और पंथक अनुशासन का पालन करें। जी.एस.सी. ने पटना साहिब के उन प्रतिनिधियों के पूर्व बयानों की भी निंदा की है, जिनमें उन्होंने श्री अकाल तख्त साहिब की गरिमा और अधिकारों को खुलेआम नकारा था।
डा. कंवलजीत कौर ने चेतावनी देते हुए कहा कि श्री अकाल तख्त साहिब के अधिकार और केंद्रीकरण को कमजोर करना गुरमत विरोधी, पंथ विरोधी और गुरु हरगोबिंद साहिब जी के ‘मीरी-पीरी’ सिद्धांत के साथ सीधा विश्वासघात है और साथ ही, यह खालसा पंथ की सामूहिक एकता की गहरी अवमानना भी है।