कोलकाता के अस्पताल में एक डॉक्टर के साथ हुई जघन्य वारदात पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य सरकार की कार्यप्रणाली पर गहरे प्रश्न उठाए हैं। अदालत ने कहा है कि इस मामले की जांच में गंभीर लापरवाही हुई है। अदालत ने इस मामले की जांच से जुड़ी एजेंसियों को पर्याप्त जानकारी न दिए जाने को लेकर भी कठोर टिप्पणी की है।
अदालत की टिप्पणी के संदर्भ में भाजपा ने कहा है कि अदालत की तल्ख प्रतिक्रिया से यह बात साफ हो गई है कि राज्य सरकार की ओर से इस मामले की लीपापोती करने की पूरी कोशिश की गई है। भाजपा ने कहा है कि इसके बाद अब ममता बनर्जी को अपने पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। पार्टी ने ममता बनर्जी से तत्काल इस्तीफा देने की मांग की है।
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा कि ममता बनर्जी सरकार ने जांच एजेंसी को केवल 27 मिनट का सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध कराया है, जबकि मामले की पूरी जांच के लिए जांच एजेंसी को पूरी सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध कराई जानी चाहिए थी। इस मामले में पुलिस कमिश्नर की भूमिका पूरी तरह संदेह के घेरे में है। ऐसे में उन्हें तत्काल उनके पद से हटाया जाना चाहिए।
पार्टी ने आशंका जताई है कि जिस दिन डॉक्टर के साथ दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटी थी, उस दिन इस मामले की लीपापोती के लिए साजिशें रची गई थीं। पार्टी की मांग है कि घटना की रात से लेकर अगले 24 घण्टे तक ममता बनर्जी और कोलकाता पुलिस कमिश्नर के बीच क्या बातचीत हुई है, यह सामने आना चाहिए। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी और पुलिस कमिश्नर के कॉल डिटेल की जांच की जानी चाहिए।