दिल्ली में ग्रीन कवर बढ़ाने और प्रदूषण नियंत्रण के लिए एमआईएस मॉड्यूल लागू किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (सीईसी) की सिफारिशों के एक सेट को स्वीकार कर लिया है। इस मॉड्यूल में परियोजनाओं के लिए काटे गए पेड़ों की संख्या, स्थानांतरित किए गए पेड़ों की संख्या और उनके स्थान पर किए गए पौधरोपण का पूरा डाटा शामिल होगा। शीर्ष अदालत ने ग्रीन कवर बढ़ाने और इसके लिए एक तंत्र विकसित करने से जुड़े मामले की सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई रिपोर्ट में केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति ने ग्रीन कवर बढ़ाने के लिए एक अनुकूलित प्रबंधन सूचना प्रणाली (एमआईएस) मॉड्यूल बनाने की सिफारिश की है। इसमें कोर्ट की ओर से दिल्ली रिज से जुड़े मुद्दों पर जारी किए गए आदेशों के पालन के लिए परियोजनाओं का निर्माण करने वालों को नियमित आधार पर डाटा अपलोड करना होगा। न्यायमूर्ति एएस ओका और एजी मसीह की पीठ ने समिति की रिपोर्ट को लेकर कहा कि हम सिफारिशों को स्वीकार करते हुए सीईसी को कार्रवाई करने का निर्देश देते हैं। पीठ ने कहा कि उम्मीद है कि दिल्ली सरकार ने वृक्ष प्राधिकरण की शक्तियों का प्रयोग बंद कर दिया है। पहले सरकार इसकी शक्ति का प्रयोग कर रही थी।
सीईसी ने सिफारिश की है कि परियोजना जारी करने वालों को एमआईएस पर अपलोड किए जाने वाले डाटा में परियोजनाओं का विवरण, काटे जाने वाले या स्थानांतरित किए जाने वाले पेड़ों की संख्या और प्रजातियां, प्रासंगिक अदालत के आदेशों के साथ-साथ अनुपालन की जाने वाली शर्तों, पौधरोपण और उसके बाद रखरखाव गतिविधियों की जानकारी दर्ज करनी होगी। साथ ही परियोजनाओं का निर्माण करने वालों को परियोजनाओं के लिए पेड़ काटने की अनुमति देते समय अदालत की शर्तों का पालन करने के लिए छह महीने की छूट मिलेगी। तब तक उनके नए प्रस्तावों पर विचार नहीं किया जाएगा। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि यदि परियोजना प्रस्तावक आवंटित छूट अवधि के बाद भी शर्तों का पालन करने में विफल रहते हैं, तो शीर्ष अदालत उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई कर सकती है। पीठ ने कहा कि सीईसी ने 15 ऐसे मामले बताए, जहां अदालत ने विभिन्न शर्तों के अनुपालन के अधीन पेड़ों की कटाई की अनुमति दी है। हालांकि, शर्तों का पालन नहीं किया गया। पीठ ने पैनल को उन सभी आवेदकों और परियोजना का निर्माण करने वालों को नोटिस भेजने के लिए कहा, जिन्होंने अनुमति मिलने के बाद भी तीन महीने में एमआईएस पर डाटा अपलोड नहीं किया। पीठ ने चेतावनी दी कि अगर परियोजना प्रस्तावक तीन महीने के भीतर डाटा अपलोड करने में विफल रहे, तो उनके खिलाफ अवमानना कार्रवाई शुरू की जाएगी। दिल्ली रिज अरावली पर्वत शृंखला की पहाड़ी का विस्तार है और जंगल से घिरा है। प्रशासनिक कारणों से इसे चार क्षेत्रों दक्षिण, दक्षिण मध्य, मध्य और उत्तर क्षेत्र में बांटा गया है। चारों क्षेत्रों को मिलाकर इसका कुछ क्षेत्रफल करीब 7784 हेक्टेयर है।