विनोद कुमार
जम्मू – पहाड़ी, पाड़री, गद्दा ब्राहम्ण और कोहली अनुसूचित जाति के राजनीति आरक्षण पर संशय के बादल मंडरा रहे है। हदबंदी आयोग ने अनुसूचित जन जाति के लिए कुल 90 सीटो में से नौ सीटें आरक्षित की हैं, लेकिन पहले से एसटी का दर्जा पाने वालों ने आरक्षित सीटों पर अपना दावा जाहिर किया है। आल गुज्जर बकरवाल कोआर्डिनेशन कमेटी का दावा है कि हदबंदी आयोग की सिफारिशों के वक्त पहाड़ी, पाड़री, गद्दा ब्राहम्ण और कोहली समुदाय को एसटी का दर्जा नहीं मिला था। लिहाजा उनको आरक्षित सीटों का लाभ दिया ही नहीं दिया जा सकता। उनका कहना है कि
20 मई 2022 को हदबंदी आयोग ने अपनी सिफारिशों को सरकार के समक्ष रखा था जबकि 2024 में पहाड़ी, पाड़री, गद्दा ब्राहम्ण और कोहली को एसटी का दर्जा दिया गया था। पहाड़ी नेता एवं पूर्व एमएलसी एडवोकेट एमआर कंुरैशी का कहना है कि बेबुनियाद बातोें का जबाव देना जरूरी नहीं, लेकिन सच यह है कि आरक्षण एसटी को मिला है न कि किसी जाति, समुदाय को दिया गया है। पहाड़ी, पाड़री, गद्दा ब्राहम्ण और कोहली को नौ सीटों पर फार्म भरने से कोई रोक नहीें सकता।
आल गुज्जर बकरवाल कोआर्डिनेशन कमेटी के संयोजक एडवोकेट मोहम्मद अनवर चौघरी का कहना है कि पांच अगस्त 2019 को 370 में संशोधन किया गया और 35ए को हटाया गया। उसके बाद 2020 में रिटायर्ड जस्टिस रंजना प्रकाश की अगुवाही में हदबंदी आयोग का गठन किया गया। आयोग ने 2011 की जनगणना को आधार बना कर 9 सीटों को एसटी के लिये आरक्षित रखने का फैसला लिया। उनका यह भी तर्क है कि एसटी समुदाय को जनसंख्या कि आधार पर 10 फीसदी आरक्षण मिलता है। जम्मू कश्मीर की कुल 90 में से 9 सीटें एसटी के लिये आरक्षित करना इस बात को साबित करता है कि आरक्षण 1989 और 1991 में एसटी का दर्जा पाने वाले समुदाय के लिये है। जबकि हाल ही में एसटी का दर्जा हासिल करने वालों का इस आरक्षण से कोई सरोकार नहींे है। उनका कहना है कि इस बाबत चुनाव आयोग, गृह मंत्रालय और उप राज्यपाल को भी ज्ञापन सौंपा गया है। आल गुज्जर बकरवाल कोआर्डिनेशन कमेटी के संयोजक एडवोकेट मोहम्मद अनवर चौधरी ने सभी जिला उपायुक्तों से 20 मई 2022 से पहले एसटी का दर्जा पाने वाले को ही चुनावी पर्चा भरने का अवसर देने की बात कही है।