विनोद कुमार
जम्मू – पांच अगस्त 2019 के संवैधानिक बदलाव के बाद जम्मू-कश्मीर में पर्यटन सेक्टर उंची उडान भरी है। 2023 में सवा दो करोड़ रिकार्ड सैलानियों के पहुंचने कश्मीर के कारोबार में इजाफा हुआ है। आर्थिक स्थ्तिि में भी सुधार आया है। खासतौर पर विदेशी सैलानियों में जम्मू-कश्मीर को लेकर नई उमंग जगी है। आंकड़े बताते है कि पिछले साल के मुकाबले में विदेशी सैलानियों में ढाई गुणा का इजाफा हुआ है। 2023 में करीब 55 हजार विदेशी सैलानियों ने कश्मीर का रूख किया था और इस बार सरकार ने आंकड़े को एक लाख तक पहुंचाने का लक्ष्य तय किया है। इससे भी दिलचस्प बात यह है कि 2022 में सिर्फ 4028 सैलानियों ने ही कश्मीर का दौरा किया था। कश्मीर चैंबर्स के अध्यक्ष जावेद टैंगा का कहना है कि चैंबर विदेशी सैलानियों का स्वागत करती है और बढ़ती तादाद के लिये जम्मू-कश्मीर में अमन प्रमुख कारण है। उन्होंने विदेशी मुल्कों की सरकारों को अपनी एडवाईजरी वापस लेने की गुहार लगाई है।
2023 के सरकारी आंकड़े बताते हैं कि जम्मू में 17 हजार से ज्यादा विदेशी पर्यटकों ने दस्तक दिया जबकि कश्मीर में 37 हजार से ज्यादा विदेशी सैलानी पहुंचे। 2022 के सरकारी आंकड़े बताते हैं कि जम्मू में कुल 38 जबकि कश्मीर में 19 हजार से ज्यादा विदेशी सैलानी पहुंचे। 2021 के सरकारी आंकड़े बताते हैं कि जम्मू में 36 विदेशी पर्यटकों ने दस्तक दिया जबकि कश्मीर में 1614 विदेशी सैलानी पहुंचे। 2020 के आंकड़े बताते हैं कि जम्मू में 1420 विदेशी पर्यटकों ने दस्तक दिया जबकि कश्मीर में 3899 विदेशी सैलानी पहुंचे। होटल एंड लाजेज एसोसिएशन के अध्यक्ष पवन गुप्ता का कहना है कि जी-20 के सफल आयोजन के बाद कश्मीर में छवि में बहुत अंतर आया है। विदेशों में एक ऐसा संदेश गया है कि अब कश्मीर में पत्थरबाजी नहीें होती और आतंकवादी गतिविधियोें मेें भी कमी आई है। अलगाववादियों के कैलेंडर से कश्मीर को नहीं चलाया जा रहा है। यही प्रमुख कारण है कि विदेशी सैलानियों में लगातार इजाफा हो रहा है।