बिहार के चुनावी दौरे पर आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने (PM Narendra Modi) शुक्रवार को ईवीएम (EVM) को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से की गई टिप्पणी पर अपनी पहली प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना था कि बैलेट पेपर को लूट-लूटकर राज करने वाले अब ईवीएम को बदनाम कर रहे हैं।
उन्होंने आईएनडीआईए (I.N.D.I.A Bloc) के नेताओं पर भी आरोप लगाया। पीएम मोदी ने कहा कि ईवीएम को लेकर भ्रम फैलाया गया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने बिहार में क्या कुछ कहा?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने बिहार के अररिया में आयोजित चुनावी सभा में कहा कि अररिया और सुपौल का ये स्नेह मेरे लिए बहुत बड़ी ऊर्जा है, बहुत बड़ी शक्ति है। मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि आपके इस कर्ज को उतारने के लिए मैं और ज्यादा मेहनत करूंगा और तीसरे कार्यकाल में आपके हित में, देश के हित में और ज्यादा बड़े फैसले देश लेने वाला है।
पीएम मोदी ने यह भी कहा कि आज दूसरे चरण का मतदान भी चल रहा है। ये लोकतंत्र का महापर्व है। मेरी सभी मतदाताओं से, विशेषकर युवा मतदाताओं से अपील है कि ज्यादा से ज्यादा संख्या में वोट डालने के लिए जाएं।
उन्होंने कहा कि गुलामी के लंबे कालखंड से पहले जब बिहार समृद्ध था, तब भारत एक महाशक्ति था। आज जब भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक महाशक्ति बनने के लिए चल पड़ा है, तो बिहार की भी इसमें बहुत बड़ी भूमिका है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि RJD और कांग्रेस के INDI गठबंधन को न देश के संविधान की परवाह है और न ही लोकतंत्र की परवाह है। ये वो लोग हैं, जिन्होंने दशकों तक बैलेट पेपर के बहाने लोगों का, गरीबों का अधिकार छीना। पोलिंग बूथ लूट लिए जाते थे, बैलेट पेपर लूट लिए जाते थे।
ईवीएम और बैलेट पेपर को लेकर मोदी ने दी प्रतिक्रिया
INDI गठबंधन के हर नेता ने EVM को लेकर जनता के मन में संदेह पैदा करने का पाप किया है। लेकिन आज देश के लोकतंत्र और बाबा साहेब अंबेडकर के संविधान की ताकत देखिए, आज सुप्रीम कोर्ट ने मतपेटियों को लूटने का इरादा रखने वालों को ऐसा गहरा झटका दिया है कि उनके सारे सपने चूर-चूर हो गए हैं।
आज सुप्रीम कोर्ट ने साफ-साफ कह दिया है कि बैलेट पेपर वाला पुराना दौर वापस लौटकर नहीं आएगा। आज जब पूरी दुनिया भारत के लोकतंत्र की, भारत की चुनाव प्रक्रिया की, चुनाव में टेक्नोलॉजी के उपयोग की वाहवाही करती है, तब ये लोग अपने निजी स्वार्थ के लिए EVM को बदनाम करने पर लगे पड़े थे। इन्होंने लोकतंत्र के साथ लगातार विश्वासघात करने की कोशिश की है।