ब्रिटेन ने लॉन्च किया सबसे ताकतवर सुपर कंप्यूटर, 1 सकेंड में निपटा सकता है 80 साल का काम!

ब्रिटेन के ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी में बना देश का सबसे ताकतवर सुपरकंप्यूटर ‘इसांबार्ड-एआई’ (Isambard-AI) अब पूरी तरह से चालू हो चुका है। इस सुपर कंप्यूटर के बारे में जो दावा किया जा रहा है वह चौंकाने वाला है। सुपर कंप्यूटर को बनाने वाली ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी ने दावा किया कि सुपर कंप्यूटर महज 1 सकेंड में वह काम कर सकता है जिसे पूरे विश्व की आबादी को करने में 80 साल लग जाएंगे।
पब्लिक प्रोजेक्ट्स में होगा इस्तेमाल

सरकार इस सुपरकंप्यूटर को पब्लिक एआई प्रोजेक्ट्स में इस्तेमाल करना चाहती है, जिनमें एनएचएस (NHS) की वेटिंग लिस्ट को कम करना और क्लाइमेट चेंज से निपटने के टूल्स डेवलप करना शामिल हैं। इसके साथ ही इसे वैक्सीन डेवलपमेंट जैसे मेडिकल प्रोजेक्ट्स में पहले से ही टेस्ट किया जा चुका है।

एआई रिसर्च के लिए बनेगा बड़ा नेटवर्क

ब्रिटेन में ‘Isambard-AI’ और कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के ‘Dawn’ सुपरकंप्यूटर को मिलाकर ‘AI Research Resource’ नाम का नेटवर्क तैयार किया जा रहा है। हालांकि दोनों सुपरकंप्यूटर एक-दूसरे से जुड़े नहीं होंगे, लेकिन सार्वजनिक उपयोग के लिए यह एक साझा संसाधन बन जाएगा। सरकार अगले पांच वर्षों में इस नेटवर्क को 20 गुना बढ़ाने की योजना बना रही है।

5,400 से ज्यादा चिप्स से लैस

‘Isambard-AI’ को Hewlett-Packard के साथ Nvidia ने मिलकर विकसित किया है। इसमें 5,400 से ज्यादा Nvidia GH200 Grace Hopper सुपरचिप्स का इस्तेमाल हुआ है। वहीं ‘Dawn’ सुपर कंप्यूटर में 1,000 से ज्यादा Intel चिप्स और Dell की टेक्नोलॉजी लगी है। इसे यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टल ने बनाया है और इसकी फंडिंग सरकार ने की है।

एआई स्किल्स के लिए सरकार की बड़ी योजना

ब्रिटेन सरकार आने वाले समय में 10 लाख छात्रों को AI ट्रेनिंग देने और 75 लाख लोगों को डिजिटल स्किल्स सिखाने की योजना पर काम कर रही है। टेक्नोलॉजी सेक्रेटरी पीटर काइल ने कहा, “AI बीमारियों के इलाज में बड़े चमत्कार कर सकता है, लेकिन इसके साथ ही काम की दुनिया भी बदलेगी। हमें तैयार रहना होगा।”

दुनिया के टॉप 11 सुपरकंप्यूटर्स में शामिल

ब्रिटेन का यह सुपरकंप्यूटर अभी हाल ही में जारी हुई दुनिया के 500 सबसे ताकतवर कंप्यूटर्स की लिस्ट में 11वें स्थान पर आया है। सरकार का कहना है कि यह सिर्फ एक शुरुआत है। आने वाले समय में ब्रिटेन को AI का निर्माता बनाने की दिशा में यह एक बड़ा कदम है।