भाजपा की रार ने बढ़ाई संघ परिवार की चिंता, सियासी उठापटक को शांत करने की जल्द होगी पहल

भाजपा के अंदरखाने में मची रार से पार्टी नेतृत्व तो पेशोपेश में ही है, लेकिन इससे सबसे अधिक चिंता संघ परिवार को हो रही है। संघ परिवार को अब इस बात की चिंता सताने लगी है कि भाजपा नेताओं का यही हाल रहा तो कई दशकों की मेहनत पानी तो फिरेगा ही, साथ ही हिंदुत्व की अलग जगाने के अभियान को भी झटका लग सकता है। इसलिए संघ परिवार प्रत्यक्ष तौर पर भले ही अब तक भाजपा नेताओं के अहम की लड़ाई से दूरी बनाए हुए है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि जल्द ही संघ की तरफ से सियासी उठापठक को शांत करने की पहल की जाएगी। इसके लिए संघ परिवार में भी अंदरखाने मंथन किया जा रहा है। दरअसल संघ परिवार की सबसे बड़ी चिंता यह है कि विकास के साथ ही राम मंदिर और काशी विश्वनाथ जैसे लोकप्रिय धार्मिक एजेंडे पर बेहतर काम करने के बावजूद लोकसभा चुनाव में जिस तरह से भाजपा का ग्राफ तेजी से गिरा है उससे पार्टी को तगड़ा झटका लगा है।

यह स्थिति न तो भाजपा के लिए मुफीद और न ही संघ के लिए। ऐसे में संघ को यह चिंता सता रही है कि अगर भाजपा के नेताओं द्वारा इसी तरह से अपनी ही सरकार को कठघरे में खड़ा करने को लेकर होड़ जारी रही तो इसका खामियाजा भाजपा को उठाना पड़ सकता है। इसका असर सांस्कृतिक विरासत को मजबूत करने के अभियान पर पड़ सकता है। सूत्रों की माने तो संघ परिवार का यह भी मानना है कि ‘सरकार से बड़ा संगठन’ की आड़ लेकर अपने निजी स्वार्थ की पूर्ति के लिए लड़ाई लड़ रहे अतिमहत्वाकांक्षी भाजपा नेताओं की वजह से कहीं यूपी हाथ से न निकल जाए।

यहां यह भी ध्यान रखना होगा कि भाजपा और संघ के एजेंडे के लिहाज से यूपी का एक अलग ही स्थान है। गौर करने वाली बात यह भी है कि भाजपा, आरएसस व विश्व हिंदू परिषद अपने धार्मिक एजेंडे को परवान चढ़ाने के लिए यूपी को हिंदुत्व का एक मजबूत प्रयोगशाला मानते रहे हैं। इसी प्रदेश की धरती से शुरू हुए राम मंदिर आंदोलन के चलते भाजपा फर्श से अर्स तक पहुंचा था और कई बार केन्द्र और प्रदेशों में भी सरकार बनाने में सफल हुआ था। सूत्रों का माने तो संघ परिवार ने भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को यह संकेत दे दिया है कि यदि अपनी ही सरकार के खिलाफ हो रहे मोर्चेबंदी होती रही तो 2027 के चुनाव में भाजपा को भारी नुकसान तो उठाना पड़ सकता है। साथ ही पार्टी के राष्ट्रवाद और सांस्कृतिक विरासत को समृद्ध करने का सपा भी धूल-धूसरित हो जाएगा।
संघ से जुड़े सूत्रों का कहना है संघ परिवार की नजर में पीएम नरेंद्र मोदी के बाद मुख्यमंत्री योगी की हिंदुत्व का ऐसा चेहरा है, जिन्होंने प्रदेश में ही नहीं बल्कि, देशभर में हिंदुओं को एकजुट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अगर हिंदुत्व के बड़े चेहरे की छवि धूमिल करने की कोशिश पर लगाम नहीं लगाया गया तो इससे हिंदुत्व जैसे भाजपा के कोर एंजेडा को झटका लगेगा और हिंदू समाज के विभाजन को रोक पाना मुश्किल होगा। सूत्रों की माने तो संघ परिवार की पहल पर जल्द ही बैठक होगी, जिसमें भाजपा नेताओं के बीच चल रहे शीतयुद्ध पर विराम लगाने को लेकर फैसले किए जाएंगे। सबसे पहले तो संघ के किसी बड़े पदाधिकारी यूपी सरकार और संगठन के बड़े नेताओं के साथ बैठक करके स्थिति व वजहों पर मंथन करेंगे। इसके बाद दिल्ली या किसी और शहर में बैठक होगी, जिसमें भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से जुडे नेता भी शामिल हो सकते हैं।