लोकसभा चुनाव में हरियाणा में धराशायी हुआ जाट और गैर जाट का मुद्दा

आपकी जानकारी के लिए बता दे की खबर की है कि लोकसभा चुनाव में हरियाणा में इस बार जातीय कारक धरे के धरे रह गए। पहली बार यहां जाट और गैर जाट का फैक्टर काम नहीं कर पाया, बल्कि हरियाणा के मतदाताओं ने दिल खोलकर हरियाणा एक-हरियाणवी एक की परपंरा को आगे बढ़ाते हुए एक दूसरे जाति के प्रत्याशियों को वोट दिए हैं। 

चुनावी विशेषज्ञ भी मानते हैं कि इस बार हरियाणा के मतदाताओं ने नेताओं द्वारा चलाए जाने वाले जातिगत फैक्टर को नकार दिया है।

खासकर जाट और गैर जाट का मुद्दा प्रदेश की किसी भी सीट पर हावी नहीं रहा। जाट प्रत्याशियों को नान जाट के खूब वोट मिले और नान जाट प्रत्याशियों पर जाट मतदाताओं ने जीत दिलाने में अहम रोल अदा किया। चुनावी विशलेषक धमेंद्र कंवारी का कहना है कि मतदाता अब पहले से जागरूक हो गया है। इस बार लोगों ने जातिवाद से ऊपर उठकर मतदान किया है और यह अच्छी परंपरा है। मतदाताओं ने स्थानीय चेहरों और केंद्रीय चेहरों को देखते हुए ही वोट दिए। साथ ही क्षेत्रीय दलों को नकारते हुए राष्ट्रीय दलों पर विश्वास जताया है।

लोकसभा चुनावों के परिणाम का आंकलन करें 2019 में हुए चुनावों में जातिगत समीकरणों का पूरा असर पड़ा था। इसी फैक्टर के चलते भाजपा को दसों लोकसभा सीटों पर जीत मिली। इस बार कांग्रेस की ओर से भाजपा के 6 प्रत्याशियों के सामने उसी जाति के प्रत्याशी उतार देने से समीकरण गड़बड़ा गए और संबंधित जाति के मतदाता बंट गए। इसलिए किसी एक जाति का पूरा वोट बैंक सीधे तौर पर एक पार्टी को नहीं मिल पाया। 

 ब्रह्मचारी की जीत


सोनीपत की जाटलैंड धरती पर भाजपा और कांग्रेस दोनों के ही प्रत्याशी ब्राह्मण समाज से थे। भाजपा को मोहन लाल बड़ौली को अपने समाज के खूब वोट मिले। इनके यहां पर कांग्रेस के सतपाल ब्रह्मचारी की जीत जाट समाज के मतदाताओं ने सिरे लगाई। यहां जाट समाज और अनुसूचित जाति के मतदाताओं के गठजोड़ ने भाजपा के प्रत्याशी बड़ौली की जीत के रास्ते बंद किए। ब्रह्मचारी को गोहाना और जींद में अग्रवाल समाज का खूब समर्थन मिला। 

जाटलैंड में जीते
भिवानी सीट पर कांग्रेस ने जातिगत समीकरणों को देखते हुए भाजपा के जाट चेहरे धर्मबीर सिंह के सामने श्रुति चौधरी की टिकट काटकर राव दान सिंह को मैदान में उतारा था। कांग्रेस को उम्मीद थी कि हुड्डा के चेहरे पर जाट और राव दान सिंह चेहरे पर अहीर वोट बैंक मिलेगा, लेकिन कांग्रेस का यह दांव उलटा पड़ गया। राव दान सिंह अपने ही हलके महेंद्रगढ़ में हार गए, जबकि भिवानी जिले के विधानसभा सीटों पर उन्होंने जीत दर्ज की। इनमें बाढ़ड़ा, लौहारू और चरखीदादरी विधानसभा आती हैं। वहीं, जातिगत फेक्टर को दरकिनार करते हुए अहीरवाल ने चौधरी धर्मबीर को अटेली, महेंद्रगढ़, नारनौल और नांगल चौधरी में एक तरफा जीत दिलाई।