आपकी जानकारी के लिए बता दें। 18वीं लोकसभा के लिए कुल 74 महिला सदस्य (13.62 प्रतिशत) जीतकर आई हैं जो 2019 की 78 महिला सदस्यों (14 प्रतिशत) के मुकाबले थोड़ी कम हैं। सबसे ज्यादा 11 महिला सदस्य बंगाल से चुनकर आई हैं।
ताजा लोकसभा चुनावों में 797 महिला प्रत्याशी मैदान में थीं। इनमें से भाजपा ने सर्वाधिक 69 और कांग्रेस ने 41 महिलाओं को प्रत्याशी बनाया था। लोकसभा एवं विधान सभाओं में महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण देने वाला विधेयक संसद से पारित होने के बाद यह पहला चुनाव था, हालांकि यह कानून अभी लागू नहीं हुआ है।
थिंक टैंक पीआरएस के विश्लेषण के अनुसार, 16 प्रतिशत महिला सांसद 40 वर्ष से कम उम्र की हैं। 41 प्रतिशत महिला सांसद पूर्व में भी लोकसभा की सदस्य रह चुकी हैं। इनमें से एक महिला सांसद पूर्व में राज्यसभा की सदस्य रही हैं।
भारत अभी भी कई देशों से पीछे
विश्लेषण में चुनाव आयोग के आंकड़ों के हवाले से कहा गया है कि भाजपा की 30, कांग्रेस की 14, तृणमूल कांग्रेस की 11, सपा की चार, द्रमुक की तीन, जदयू एवं लोजपा (रामविलास) की दो-दो महिला प्रत्याशी इस चुनाव में विजयी हुई हैं। विश्लेषण के अनुसार, महिलाओं के प्रतिनिधित्व के मामले में भारत अभी भी कई देशों से पीछे हैं। ये चिंता का विषय है। उदाहरण के तौर पर दक्षिण अफ्रीका में 46 प्रतिशत, ब्रिटेन में 35 प्रतिशत और अमेरिका में 29 प्रतिशत सांसद महिलाएं हैं।
लोकसभा में 280 नए चेहरे
इस बार लोकसभा में चुनकर आए 280 सदस्य ऐसे हैं जो पहली बार इस सदन के सदस्य बने हैं। इनमें पूर्व मुख्यमंत्री, फिल्मी सितारे, राजनीतिक कार्यकर्ता और हाई कोर्ट के पूर्व जज शामिल हैं। प्रमुख चेहरों में किशोरी लाल शर्मा, चंद्रशेखर आजाद, पीयूष गोयल, भूपेंद्र यादव, धर्मेंद्र प्रधान, मनसुख मांडविया, परषोत्तम रूपाला आदि शामिल हैं। उत्तर प्रदेश से सर्वाधिक 45 और महाराष्ट्र से 33 नए चेहरे चुनकर आए हैं