लोकसभा चुनाव के नतीजों को लेकर अनिश्चितता और चीन के बाजारों के बेहतर प्रदर्शन के कारण विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने इस महीने अब तक भारतीय शेयरों से शुद्ध रूप से 22,047 करोड़ रुपये की भारी निकासी की है। इससे पहले मॉरीशस के साथ भारत की कर संधि में बदलाव और अमेरिका में बॉन्ड यील्ड में निरंतर वृद्धि को लेकर चिंता के बीच एफपीआई ने अप्रैल में शेयरों से 8,700 करोड़ रुपये से अधिक की निकासी की थी। वहीं एफपीआई ने मार्च में शेयरों में 35,098 करोड़ रुपये और फरवरी में 1,539 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया था। आगे चलकर जैसे-जैसे चुनाव के मोर्चे पर चीजें स्पष्ट होंगी, एफपीआई की भारतीय बाजार में लिवाली बढ़ेगी।
बॉन्ड मार्केट में निवेश
समीक्षाधीन अवधि में एफपीआई ने ऋण या बॉन्ड बाजार में 2,009 करोड़ रुपये का निवेश किया है। इससे पहले एफपीआइ ने मार्च में बॉन्ड बाजार 13,602 करोड़ रुपये, फरवरी में 22,419 करोड़ रुपये और जनवरी में 19,836 करोड़ रुपये का निवेश किया था। कुल मिलाकर इस साल एफपीआई शेयरों से 19,824 करोड़ रुपये की निकासी कर चुके हैं। इस दौरान उन्होंने बॉन्ड बाजार में 46,917 करोड़ रुपये डाले हैं। इससे भारतीय बाजार को लेकर उनके मिलजुले रुख का पता चलता है।
क्या है एक्सपर्ट की राय?
मॉर्निंगस्टार इंडिया में एसोसिएट डायरेक्टर हिमांशु श्रीवास्तव का कहना है कि चुनाव नतीजों को लेकर अनिश्चितता के बीच विदेशी निवेशक इस समय भारतीय बाजारों में उतरने से कतरा रहे हैं। हालांकि, जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज में मुख्य निवेश रणनीतिकार वीके विजयकुमार का रुख काफी सकारात्मक है। वह विदेशी निवेशकों की मौजूदा बिकवाली की वजह चीन के शेयर बाजार के अच्छे प्रदर्शन को मानते हैं। उनका कहना है कि एफपीआई की लिवाली यानी खरीदारी का सिलसिला चुनावी नतीजों से पहले भी शुरू हो सकता है।