सड़क की तरह रेलवे ट्रैक पर भी ब्लैकस्पॉट चिह्नित कर हादसे व पथराव की घटनाएं रोकी जाएंगी। इसके लिए रेलवे ब्लूप्रिंट तैयार करेगा। उत्तर, पूर्वोत्तर व उत्तर मध्य रेलवे प्रशासन ने काम भी शुरू कर दिया है। इतना ही नहीं, 32 सौ से अधिक ग्रामीणों को ट्रैकमित्र बनाकर पटरियों की सुरक्षा को पुख्ता किया गया है।
ट्रेनों के बेपटरी होने, ट्रैक पर आए दिन होने वाले हादसों को रोकने के लिए और ट्रेनों पर पथराव के मामलों पर अंकुश लगाने के लिए रेलवे प्रशासन सख्त हो गया है। हालांकि रेलवे का पूरा फोकस सुरक्षा पर है। यही वजह है कि सुरक्षा के मद में डेढ़ लाख करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है। इसी क्रम में अब पटरियों, ट्रेनों व यात्रियों की सुरक्षा को और मजबूत बनाने के लिए ब्लैकस्पॉट चिह्नित किए जा रहे हैं। इससे उन जगहों का डाटा तैयार हो जाएगा, जहां हादसे हो रहे हैं या पथराव किया जा रहा है। डाटा तैयार हो जाने पर रेलवे को ब्लूप्रिंट तैयार करने में मदद मिलेगी। इससे हादसे की वजहों पर अंकुश लगाया जा सकेगा।
पूर्वोत्तर रेलवे के आरपीएफ कमांडेंट चंद्रमोहन मिश्र ने बताया कि पथराव की घटनाओं को रोकने के लिए ट्रैक के आसपास स्थित गांवों में जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं। यह काम उत्तर रेलवे प्रशासन भी करता है। ग्रामीणों को ट्रैकमित्र बनाया जा रहा है, ये पथराव करने वाले शरारती तत्वों के बारे में सूचना देते हैं।