सियासी जमातों से नाखुश ओबीसी और जाट समुदाय

सियासी जमातों से नखुश ओबीसी और जाट समुदाय
ओबीसी उम्मीदवार को किसी भी दल ने चुनावी मैदान में नहीं उतारा
परिसीमन के बाद सभी जाट बहुल हलकों की सीटों आरक्षित
आरक्षित सीटों के बावजूद भी जाट समुदाय को नहीं मिली उम्मीदवारी
ओबीसी व जाट समुदाय से बेरूखी पार्टियों को पड़ सकती है महंगी

जम्मू
विनोद कुमार
विधानसभा चुनावों में टिकटों के वितरण के बाद ओबीसी और जाट समुदाय में नाराजगी पैदा हो गई है। यह नाराजगी सिर्फ भारतीय जनता पार्टी के प्रति ही नहीं सभी दलों से ओबीसी और जाट समुदाय खफा हैं। 1931 की जनगणना के मुताबिक जम्मू-कश्मीर में ओबीसी समुदाय की जनसंख्या 38 फीसदी थी और जाट समुदाय की जनसंख्या को भी कम नहीं आंका जा सकता है। लगभग फीसदी वाली आबादी वाले समुदाय को किसी भी बड़ी पार्टी ने अभी तक टिकट नहीं दिया है।
कांग्रेस के बड़े ओबीसी नेता और ओबीसी डिपार्टमेंट के चेयरमैन मदन लाल चलोत्रा ने लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को वकायदा पत्र लिखकर ओबीसी को प्रतिनिधित्व देने की गुहार लगाई थी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। भाजपा के नेता रशपाल वर्मा के साथ भी भाजपा ने न्याय नहीं किया। उम्मीदवारों की संभावित सूची में रशपाल वर्मा का सांबा विधानसभा हलके पहली नंबर था, लेकिन उम्मीदवारी सुरजीत सिंह स्लाथिया को दी गई है। हालांकि नेकां को छोड़ कर भाजपा का दामन थामने वाले पूर्व मंत्री स्लाथिया को पार्टी ने टिकट का वादा किया था। भाजपा ओबीसी के प्रभारी सुनील प्रजापति का भी कहना है कि अनुशासित कार्यकर्ता होने के नाते पार्टी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन न करते हुए इंसाफ की बात तो की ही जाती है। ओबीसी समुदाय के साथ इंसाफ की दरकार है।
अब अगर जाट समुदाय की बात करते है तो सुचैतगढ़, विजयपुर में रामगढ़ और मढ़ विधानसभा हलके में जाट समुदाय का दबदबा था। परिसीमन आयोग ने अपनी सिफारिशों में इन सभी चुनावी हलकों को एससी के लिये आरक्षित कर दिया। बदले में किसी भी जाट में किसी भी विधानसभा हलके से टिकट नहीं दिया है। जिससे जाटों में नाराजगी जाहिर है। जाट महासभा के अध्यक्ष और पूर्व मेयर मनमोहन चौधरी ने भी नाराजगी जाहिर की है उनका है कि पहले सीटों को आरक्षित कर दिया। पूरी बार्डर बैल्ट को ही आरक्षित कर दिया और उसके बाद किसी भी जाट नेता को मैदान पर नहीं उतारा। कांग्रेस नेता और जाट महासभा के पदाधिकारी द्वारिका चौधरी का कहना है कि कांग्रेस ने अभी अपनी सूची जारी नहीं की है और उम्मीद करते है कि पार्टी जाट समुदाय के साथ पक्षपात नहीं करेगी।