सेंट्रल जेल श्रीनगर में बंद आतंकी अपने मददगारों के जरिये जेल से नेटवर्क चला रहे थे। सीमा पार बैठे आकांओं के निर्देश पर जम्मू-कश्मीर में हमलों की साजिश रची जा रही थी। सेंट्रल जेल श्रीनगर में बंद आतंकी अपने मददगारों के जरिये जेल से नेटवर्क चला रहे थे। सीमा पार बैठे आकांओं के निर्देश पर जम्मू-कश्मीर में हमलों की साजिश रची जा रही थी। सीआईके के एक प्रवक्ता ने बताया कि जेल परिसर में तकनीकी हस्तक्षेपों का पता लगाने के लिए छापे मारे गए। 2023 में दर्ज एक मामले में विशेष न्यायाधीश श्रीनगर की अदालत से जारी वारंट के अनुसरण में जेल की तलाशी ली गई।
जांच में सामने आया कि जेल में बंद आतंकियों और पाकिस्तान में बैठे उनके आकांओं के बीच संवाद कराने के लिए मददगारों के जरिये मोबाइल फोन और अन्य डिजिटल उपकरण पहुंचाए जा रहे हैं। सीमा पार से आतंकी संगठनों के आका जेल में बंद आतंकियों से संपर्क में थे। उनके जरिये वे कश्मीर घाटी में सक्रिय आतंकियों को हमले करने के निर्देश देते थे। अधिकारियों ने बताया कि आतंकी संगठन लगातार नए आतंकी मॉड्यूल बनाने में सक्रिय हैं। इसमें विभिन्न सोशल मीडिया अनुप्रयोगों का दुरुपयोग करके कश्मीर के युवाओं को कट्टरपंथ और भड़काने सहित विभिन्न तरीकों व साधनों का प्रलोभन दिया जा रहा है, जिसका उद्देश्य युवाओं को गैरकानूनी और आतंकवादी गतिविधियों में शामिल करना है।
जेल के अंदर सुरक्षा में चूक
जांच एजेंसियां सेंट्रल जेल परिसर की सुरक्षा में चूक के पहलू की भी जांच कर रही हैं कि आखिर ये डिजिटल संचार उपकरण जेल के अंदर कैसे पहुंचे। अधिकारियों ने कहा कि इस कृत्य में सहायक/मददगार भी जांच का विषय बनेंगे। इस अभियान का उद्देश्य महत्वपूर्ण साक्ष्यों को उजागर करना, अवैध गतिविधियों पर अंकुश लगाना, जेलों सहित सुरक्षा क्षेत्रों में मोबाइल जैसे संचार उपकरणों के दुरुपयोग को रोकना और प्रदेश में आतंकी पारिस्थितिकी तंत्र को नष्ट करना है। जेल में मोबाइल का दुरुपयोग करके आतंकवाद का समर्थन और बढ़ावा देने वाले आतंकी मददगारों की पहचान कर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।