हॉस्टल में 24 बच्चे सोए थे… बलि के लिए कृतार्थ को ही क्यों उठाया?

हाथरस के डीएल पब्लिक स्कूल के हॉस्टल में 24 बच्चे सोए थे, लेकिन बलि देने के लिए इनमें से केवल कृतार्थ को ही क्यों उठाया गया। इस सवाल का जवाब हत्याकांड का खुलासा करने वाली पुलिस टीम के पास भी नहीं है, जबकि बच्चे के घर वाले और हाथरस के लोग इस सवाल का जवाब मांग रहे हैं। पुलिस अधिकारी भी यह कहकर पल्ला झाड़ लेते हैं कि आरोपियों को रिमांड पर लेकर अभी पूछताछ की जानी है।

हाथरस से 30 किलोमीटर दूर है कस्बा सहपऊ। सहपऊ से सात किलोमीटर दूर रसगवां गांव है। इसी गांव में डीएल पब्लिक स्कूल चल रहा था। 700 बच्चे यहां पढ़ रहे थे। इस विद्यालय में हॉस्टल की भी व्यवस्था की गई है। हॉस्टल में मौजूदा समय में 24 बच्चे रह थे। इनमें कुछ कक्षा दो और कुछ कक्षा पांच एवं आठ तक के छात्र हैं।

तुरसेन गांव निवासी श्रीकृष्ण का बेटा कृतार्थ (11) भी हॉस्टल में रहकर ही पढ़ रहा था। उसका शव 23 सितंबर की सुबह को सादाबाद में स्कूल प्रबंधक दिनेश बघेल की कार में मिला था। दिनेश बघेल ने उस वक्त कहा था कि 22 सितंबर की रात को हॉस्टल में कृतार्थ की तबीयत खराब हो गई थी। वह उसे चिकित्सक के पास लेकर पहले सादाबाद गए, फिर आगरा। वहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया था। वह बच्चे को लेकर वापस आ रहे थे, तभी सादाबाद में कृतार्थ के परिवार वालों ने उन्हें घेर लिया।
शुरुआत में तो पुलिस ने भी दिनेश द्वारा बताई गई कहानी पर यकीन कर लिया था, लेकिन जब पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गला दबाकर हत्या करने की बात सामने आई तो प्रबंधक को हिरासत में ले लिया गया। बाद में प्रबंधक के पिता जसोदन को गिरफ्तार किया गया। जसोदन तांत्रिक है। पुलिस ने पांच लोगों को गिरफ्तार कर हत्या के खुलासे का दावा किया।
पुलिस ने दावा किया तंत्र-मंत्र के लिए कृतार्थ की हत्या की गई है, लेकिन यहां सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि हॉस्टल में तो 24 बच्चे थे तो फिर कृतार्थ को ही वहां से बलि के लिए क्यों उठाया गया। कृतार्थ के पिता श्रीकृष्ण भी इस सवाल का जवाब मांग रहे हैं। वह कहते हैं कि पुलिस कुछ छिपा रही है। कृतार्थ के ताऊ घनश्याम का भी यही कहना है। वह कहते हैं कि हत्या की सही वजह का पता लगाना पुलिस का काम है। आखिर कृतार्थ को ही सोते से क्यों उठाया गया।
घर के बरामदे में बेटे कृतार्थ को याद करके उसकी मां कमलेश बार-बार सहम जाती हैं। रोते-बिलखते उनकी जुबां पर एक ही बात आती है कि उनके बेटे की ही क्यों बलि देना चाहता था जसोदन। यह बात उनके जेहन से नहीं निकल पा रही है। रुंधे गले से कमलेश ने बताया कि इंजीनियर बनाने के लिए बेटे को अपने से दूर रखा, जिससे वह उनका नाम रोशन कर सके। अब उसकी जान ही इन लोगों ने ले ली।