दिल्ली में लोकसभा की सात सीटें हैं। पिछले दो लोकसभा चुनावों 2014 और 2019 में भाजपा ने दिल्ली की सभी सातों सीटों पर जीत हासिल की थी। लेकिन इस बार दिल्ली के राजनीतिक समीकरणों में यह परिवर्तन हुआ है कि इंडिया गठबंधन के अंतर्गत आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने हाथ मिला लिया है। आम आदमी पार्टी चार और कांग्रेस तीन सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं। यदि आप और कांग्रेस के वोट ट्रांसफर हुए तो भाजपा के सामने चुनौती कठिन हो सकती है।
पिछले लोकसभा चुनाव में 57 फीसदी वोट शेयर पाने के कारण भाजपा का अनुमान है कि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के साथ आने के बाद भी उसे कोई नुकसान नहीं होगा। उलटे, भाजपा अपने वोटों के अंतर को बड़ा कर अगले साल दिल्ली विधानसभा चुनावों में जाना चाहती है। पार्टी ने इसके लिए हर स्तर पर तैयारियां भी शुरू कर दी हैं।
चूंकि, भाजपा ने पांच और आम आदमी पार्टी ने चार लोकसभा उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। इससे दिल्ली की तस्वीर कुछ हद तक साफ होती दिखाई पड़ रही है। कांग्रेस के तीन उम्मीदवारों की घोषणा इसी सप्ताह होने की संभावना है। उसके बाद तस्वीर पूरी तरह साफ हो जाएगी। फिलहाल, अभी तक जो स्थिति बनती दिख रही है, वह इस प्रकार है—