अमेठी गांधी परिवार की पुश्तैनी सियासी सरजमी है। यहां स्वर्गीय संजय गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी और राहुल गांधी तक सांसद रहे। लंबे समय तक यहां पर कांग्रेस का ही दबदबा रहा। अब भी यहां की पहचान गांधी परिवार के रूप में ही होती है, लेकिन इस बार कांग्रेस उम्मीदवारी से गांधी परिवार के गायब रहने की चर्चाएं तेज होती जा रही हैं।
चुनावी सरगर्मी के बीच माना जा रहा था कि अमेठी से राहुल गांधी व रायबरेली से प्रियंका लड़ सकती हैं। मौके-बे-मौके कांग्रेस नेताओं ने भी यही दावे किए। चर्चा हुई कि वायनाड चुनाव के बाद राहुल व प्रियंका के नाम की घोषणा होगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। एक दिन अचानक अमेठी में पोस्टर लग गए कि अमेठी मांगे रॉबर्ट वाड्रा। तब चर्चा हुई शायद रॉबर्ट वाड्रा चुनाव लडेंगे, फिर से चर्चा बदली कि राहुल ही आएंगे।
पार्टी नेताओं ने यह दावे भी किए कि एक-दो दिन में घोषणा हो जाएगी। इसके बाद फिर एकाएक चर्चा हुई कि अमेठी से प्रियंका व रायबरेली से राहुल गांधी मैदान में आएंगे, लेकिन अब इन चर्चाओं पर भी विराम लगता दिख रहा है। अब सियासी गलियारों में यह चर्चा आम हो रही है कि अमेठी व रायबरेली से गांधी परिवार का कोई सदस्य चुनाव नहीं लड़ेगा।
नामांकन के लिए अब सिर्फ तीन दिन का समय
भाजपा के बाद अब बसपा ने भी अमेठी से प्रत्याशी की घोषणा के साथ ही चुनावी फिजा बनाने में जुट गई है। भाजपा की स्मृति जूबिन इरानी ने सोमवार को बाकायदा नामांकन भी कर दिया। दावे के मुताबिक बसपा उम्मीदवार भी बुधवार को नामांकन कर सकते हैं। ऐसे में कांग्रेस गठबंधन छोड़ अन्य पार्टियां चुनावी मैदान में बिसात बिछाने में जुट गई हैं। लेकिन चरम पर पहुंचे चुनावी समर के बीच अभी तक कांग्रेस से उम्मीदवार घोषित न होना अमेठी, रायबरेली में ही नहीं पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है। नामांकन में अब सिर्फ तीन दिन का वक्त शेष है। ऐसे में कांग्रेस के कदम का सभी को बेसब्री से इंतजार है।