‘घूस लेने के लिए कोई विशेषाधिकार नहीं’, वोट के बदले नोट लेने पर अब MP-MLA पर भी चलेगा मुकदमा

बता दें कि खबर यह है कि वोट के बदले नोट के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है। बेंच ने पिछले फैसले को पलट दिया है। सीजेआई ने सांसदों को राहत देने पर असहमति जाहिर की है। सात जजों की संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से यह फैसला सुनाया है।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 105 का हवाला दिया। अगर कोई विधायक या सांसद पैसे लेकर सदन में भाषण या वोट दे तो क्या उस पर मुकदमा चलेगा या फिर इस तरह के रिश्वत वाले मामले में बतौर जनप्रतिनिधि हासिल प्रिविलेज (विशेषाधिकार) के तहत कानूनी कार्रवाई से छूट होगी? इस मामले पर कोर्ट ने सुनवाई की।

कोर्ट ने पलटा पुराना फैसला

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा,”हम पीवी नरसिम्हा मामले में फैसले से असहमत हैं। वहीं, कोर्ट के पिछले फैसले को खारिज किया जा रहा है। ‘पीवी नरसिम्हा राव बनाम सीबीआई मामले’ में पिछले 25 साल यानी 1998 में सदन में ‘वोट के बदले नोट’ मामले में सांसदों को मुकदमे से छूट की बात कही थी। बहुमत के फैसले में पांच जजों की पीठ ने तब पाया कि सांसदों को अनुच्छेद 105 (2) और 194(2) के तहत सदन के अंदर दिए गए किसी भी भाषण और वोट के बदले आपराधिक मुकदमे से छूट है।