बढ़ने लगी मांग, गेहूं और चीनी के भाव में आई तेजी, जानें सरकार के नए उपाय

बढ़ने लगी मांग, गेहूं और चीनी के भाव में आई तेजी, जानें सरकार के नए उपाय
बढ़ने लगी मांग, गेहूं और चीनी के भाव में आई तेजी, जानें सरकार के नए उपाय

त्योहारी सीजन में बाजार में जोरदार डिमांड बढ़ रही है, जिसका परिणाम के रूप में खाने-पीने की चीजों की कीमतों में वृद्धि की जा रही है. इसका सीधा असर गेहूं और चीनी की कीमतों पर पड़ रहा है, जिनमें तेजी देखी जा रही है. यह त्योहारी सीजन में खाने-पीने की चीजों की मांग की बढ़ती कमी को पूरा करने के लिए हो रहा है, और इसके परिणामस्वरूप कीमतों में वृद्धि हो रही है।

गेहूं की नई कीमत

एक खबर के अनुसार त्योहारी मौसम के आने से गेहूं की मांग में वृद्धि के कारण दिल्ली में गेहूं के भाव में 5-6 फीसदी की तेजी दर्ज की गई है। गेहूं की कीमत 27 रुपये प्रति किलो के स्तर के पार पहुंच गई है। इस वृद्धि के कारण, मिलिंग इंडस्ट्री से जुड़े लोग सरकार से मांग कर रहे हैं कि या तो जीरो ड्यूटी पर गेहूं के आयात की मंजूरी दी जाए या बाजार में उपलब्धता बढ़ाने के लिए सरकारी एजेंसी एफसीआई की बिक्री बढ़ाई जाए।

सरकार ने फसल वर्ष 2022-23 के लिए गेहूं की उपज के अनुमान को कम कर दिया है, जिससे गेहूं के भाव पर और प्रेशर बढ़ सकता है। नया अनुमान 2.19 एमटी है, जो पिछले अनुमान से कम है और अब उपज का कुल मात्रा 110.55 एमटी हो गई है, जो 2021-22 की उपज की तुलना में अधिक है। फसल वर्ष की शुरुआत साल के जुलाई महीने में होती है और अगले साल के जुलाई महीने तक क्रॉप ईयर चलता है, इसलिए यह अनुमान फसल के भाव पर आसरा डाल सकता है।

चीनी ने सात साल के तोड़े रिकॉर्ड

सरकार ने फसल वर्ष 2022-23 के लिए गेहूं की उपज के अनुमान को कम कर दिया है, जिससे गेहूं के भाव पर और प्रेशर बढ़ सकता है। नया अनुमान 2.19 एमटी है, जो पिछले अनुमान से कम है और अब उपज का कुल मात्रा 110.55 एमटी हो गई है, जो 2021-22 की उपज की तुलना में अधिक है। फसल वर्ष की शुरुआत साल के जुलाई महीने में होती है और अगले साल के जुलाई महीने तक क्रॉप ईयर चलता है, इसलिए यह अनुमान फसल के भाव पर आसरा डाल सकता है।

सरकार ने किए नए उपाय

सरकार ने एक दिन पहले चीनी के निर्यात पर लगी पाबंदियों को बढ़ाने की घोषणा की थी. विदेशी व्यापार महानिदेशालय ने इस संबंध में कल एक नोटिफिकेशन जारी किया था. नोटिफिकेशन के अनुसार अब चीनी की विभिन्न किस्मों के निर्यात पर अक्टूबर से आगे भी पाबंदियां लगी रहेंगी. भारत में पिछले 2 सालों से चीनी के निर्यात पर रोक लगी हुई हैं. पाबंदियों वाली व्यवस्था में सरकार चीनी मिलों को निर्यात के लिए कोटा इश्यू करती है.