विदेश मंत्री एस. जयशंकर लोकसभा चुनाव नहीं लड़ रहे हैं, लेकिन वह चुनावी अभियान में जुटे हुए हैं। वह लगातार राज्यों का दौरा कर समझा रहे हैं कि आने वाला समय विश्व के लिए संकट काल होगा, देश को सीना तानकर आगे बढ़ना है तो सशक्त और दूरदर्शी नेता चाहिए और बड़ा जनादेश भी।
पिछले कुछ वर्षों में विश्व मंच पर भारत की शानदार होती छवि और दमदार आवाज का हवाला देते हुए वह कहते हैं कि आज विदेश नीति सीधे तौर पर जनता के हितों से जुड़ती है। जानिए लोकसभा चुनाव से लेकर देश-विदेश के विभिन्न मुद्दों पर क्या है उनकी राय।
एक बड़े अखबार को इंटरव्यू देते हुए उन्होंने कहा मैं वर्ष 2015 से मोदी सरकार के साथ हूं। पहले विदेश सचिव, फिर विदेश मंत्री के तौर पर। आगे क्या होगा, यह फैसला तो पीएम करेंगे। अभी लक्ष्य है कि 400 से अधिक सीटें जीतनी हैं। मैं पहली बार आम चुनाव से इस तरह जुड़ा हूं। लोगों को वैश्विक स्थिति, भारत के समक्ष अवसर व चुनौतियों के बारे में बता रहा हूं। बताता हूं कि आने वाला समय काफी अस्थिर हो सकता है।
यूक्रेन की लड़ाई, गाजा की स्थिति, ईरान-इजरायल में तनाव… एशिया में हमारा चीन के साथ तनाव है, चीन व अमेरिका के बीच प्रतिस्पर्द्धा है। हम अस्थिरता की तरफ जा रहे हैं। ऐसे में भारत के लिए जरूरी है कि एक मजबूत सरकार हो। ऐसा लीडर नेतृत्व करे, जिसमें अनुभव व आत्मविश्वास हो और भारत को आगे ले जाने की दृढ़ इच्छाशक्ति भी।
उन्होंने कहl पीएम मोदी ने कहा है कि वर्ष 2014 का चुनाव उम्मीद व 2019 का चुनाव भरोसे का था और 2024 का चुनाव मोदी की गारंटी पर लड़ा जा रहा है। यह घरेलू नीति के साथ विदेश नीति पर भी लागू होता है। मोदी की गारंटी देश की सीमा पर ही खत्म नहीं होती है। यूक्रेन में रहने वाले भारतीय छात्रों ने वर्ष 2022 में यह अनुभव किया। हमने कोविड महामारी के दौरान देखा कि कैसे वंदे भारत मिशन क्रियान्वित किया गया। जो सवाल है कि हम पीएम के तीसरे कार्यकाल में विदेश नीति को कैसे आगे ले जाएंगे तो हमारा संकल्प पत्र इस बारे में बहुत ही स्पष्ट है। हमने पिछले एक दशक में जो नींव बनाई है, उसे आगे बढ़ाना है।
विदेश में बसे भारतीयों की रक्षा की जाएगी। पहुंच बढ़ाने के लिए ज्यादा दूतावास खोले जाएंगे। निर्यात बढ़ाने में मदद होगी और भारतीयों के लिए बाहर काम के अवसर बढ़ाए जाएंगे। देश के विकास में निवेश व प्रौद्योगिकी को अपनाने की प्रक्रिया और तेज होगी। यूपीए सरकार के विपरीत, हम सीमापार आतंकवाद को लेकर बहुत कठोर कदम उठाएंगे। सीमा पर हमारी नीति बहुत स्पष्ट है कि मौजूदा हालात को बदलने की कोशिश का करारा जवाब दिया जाएगा। पड़ोसी देशों के अलावा हम खाड़ी देशों व आसियान क्षेत्र के साथ रिश्तों को प्रगाढ़ करेंगे। राष्ट्रीय सुरक्षा सबसे बड़ी प्राथमिकता है। कांग्रेस की तरह नहीं कि हम अपने आसपास बड़ी शक्तियों की गतिविधियों को नजरअंदाज